सार

दिसंबर के महीने में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) में नवंबर के मुकाबले थोड़ी राहत देखने को मिली है। नवंबर में यह‍ आंकड़ा 14.23 फीसदी और तो दिसंबर के महीने में 13.56 फीसदी पर आ गया है।

 

बिजनेस डेस्‍क। भले ही दिसंबर में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) नवंबर के मुकाबले थोड़ी कम देखने को मिली हो, लेकिन लगातार 9वें महीने में थोक महंगाई दोहरे अंक या यूं कहें क‍ि‍ 10 फीसदी से ज्‍यादा देखने को मिली है। दिसंबर में भारत की वार्षिक थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति मामूली रूप से गिरावट के साथ 13.56 फीसदी देखने को मिली है। जबकि नवंबर के महीने महीने यह 14.23 फीसदी देखने को मिला था। नवंबर के महीने थोक महंगाई दर 10 साल के ऊपरी स्‍तर पर था।

रेपो में नहीं किया था कोई बदलाव
फ्यूल, मेटल और कैमिकल जैसे उत्पादों की बढ़ती इनपुट लागत ने हाल के महीनों में थोक कीमतों को बढ़ाया है, जो उत्पादकों की कीमतों के लिए एक प्रॉक्सी है, जबकि खुदरा महंगाई 5 फीसदी के आसपास देखने को मिल रही है जो कि रिजर्व बैंक के टारगेट के 2 फीसदी से 6 फीसदी के अंदर है। आरबीआई ने पिछले महीने लगातार नौवीं बैठक में बेंचमार्क रेपो दर को 4 फीसदी पर अपरिवर्तित छोड़ दिया क्योंकि बढ़ते कोविड -19 मामलों के बीच आर्थिक विकास एक चुनौती बना हुआ है।

किसमें कितना इजाफा
थोक ईंधन और बिजली की कीमतों में दिसंबर में 32.30 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि नवंबर में 39.81 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि विनिर्मित उत्पाद की कीमतों में 10.62 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है, जो पिछले महीने में 11.92 फीसदी थी। भोजन के थोक मूल्य 6.70 फीसदी की गति से बढ़े, जबकि पिछले महीने यह 3.06 फीसदी था।

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रिटेल महंगाई में भी तेजी
उपभोक्ता मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा निगरानी की जाने वाली मुख्य गेज, पिछले साल इसी महीने के नवंबर के 4.91 फीसदी से दिसंबर में पांच महीने के उच्च स्तर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई। विश्लेषकों को डर है कि ओमाइक्रोन के बढ़ते मामलों, केंद्रीय बैंकों की आसान तरलता को कम करने और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से घरेलू कीमतें अगले कुछ महीनों में और भी अधिक बढ़ सकती हैं।