इस नीति के अनुसार, सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड स्व-पहचाने गए लिंग पहचान को दर्शाएंगे। नाम परिवर्तन विकल्प किसी की घोषित लिंग पहचान की परवाह किए बिना उपलब्ध होंगे। 

करियर डेस्क. हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ एक बार फिर से सुर्खियों में है। यह यूनिवर्सिटी तब चर्चा में आई थी जब आज से सात साल पहले एक स्टूडेंट्स को जेंडर का सर्टिफिकेट दिया था। अब एक बार फिर से यूनिवर्सिटी ने ऐसा किया है जिसकी चर्चा जोरों से हो रही है। दरअसल, यहां लैंगिक समानता के लिए जेंड्रर न्यूट्रल ट्रांस पॉलिसी का डॉफ्ट तैयार किया गया है।

Scroll to load tweet…

विश्वविद्यालय के कुलपति फैजान मुस्तफा ने बताया कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य एक सुरक्षित कैंपस का निर्माण करना है। इसके लिए जीएच -6 भवन में एक हॉस्टल है उसे शामिल किया गया है। जिसमें छात्रों को एलजीबीटीक्यू + (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर) कैटेगरी के कैंडिडेट्स के रूप में स्वयं की पहचान करने के लिए आवंटित कमरे हैं। एकेडमिक ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर पर वॉशरूम भी जेंडर न्यूट्रल है। आने वाले समय में ऐसा ही हॉस्टल बनाने की योजना है। उन्होंने बताया कि इसका मकसद ये है कि कैंपस में सिर्फ मेल और फीमेल की बात नहीं होनी चाहिए। अब लेस्बियन, गे और ट्रांसजेंडर छात्र स्वेच्छा से अपनी एक पहचान बना सकते हैं और आसानी से कैंपस में रह सकते हैं।

इसे भी पढ़ें- CUET 2022: 2 अप्रैल से आवेदन प्रक्रिया, क्या इसी टेस्ट से प्राइवेट यूनिवर्सिटी में होगा एडमिशन, जानें डिटेल्स

पहले भी हो चुका है प्रयोग
ये पहला मामला नहीं है जब विश्वविद्यालय में इस तरह का प्रयोग किया गया है। जून 2015 में, एक 22 वर्षीय बीए एलएलबी स्टूडेंट्स ने विश्वविद्यालय से कहा था कि उसके सर्टिफिकेट में उसकी पहचान जेंडर के रूप में नहीं होनी चाहिए। जिसे विश्वविद्यालय ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद से यूनिर्सिटी में कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं।

इसे भी पढ़ें- JOB ALERT: असम राइफल्स में रैली भर्ती, जानें कौन कर सकता है अप्लाई, कैसे होगा सिलेक्शन

"लिंग और यौन अल्पसंख्यकों के लिए समावेशी शिक्षा पर नीति" विश्वविद्यालय की ट्रांस नीति समिति द्वारा तैयार की गई है। इसके लिए स्व-पहचान के लिए एक लिखित स्व-सत्यापित घोषणा से अधिक की आवश्यकता नहीं होगी। आधिकारिक रिकॉर्ड में लिंग कानूनी दस्तावेजों जैसे जन्म प्रमाण पत्र या आधार कार्ड में कैंडिडेट्स सम्मानजनक शीर्षक लिखने के लिए स्वतंत्र होंगे। इस नीति के अनुसार, सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड स्व-पहचाने गए लिंग पहचान को दर्शाएंगे। नाम परिवर्तन विकल्प किसी की घोषित लिंग पहचान की परवाह किए बिना उपलब्ध होंगे।