सार

 छत्तीसगढ़ पुलिस ने रायपुर में एक महिला पुलिस अधिकारी को धमकी देने के आरोप में सरकारी संचार अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष और भाजपा के एक प्रवक्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

रायपुर. छत्तीसगढ़ पुलिस ने रायपुर में एक महिला पुलिस अधिकारी को धमकी देने के आरोप में सरकारी संचार अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष और भाजपा के एक प्रवक्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

एक मामले में अधिकारी पर दबाव बनाने का है आरोप

उन्होंने बताया कि डीडी नगर पुलिस थाना की अधिकारी मंजूलता राठौर की ओर से दायर शिकायत के आधार पर शनिवार को कबीर संचार शोधपीठ के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला और प्रदेश भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। शुक्ला एक आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं। रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आरिफ शेख ने बताया कि शिकायत में आरोप लगाया गया कि शुक्ला और श्रीवास छह फरवरी की रात डीडी नगर पुलिस थाना आए थे और कथित रूप से उन्होंने रितेश ठाकुर (40) नामक व्यक्ति को छोड़ने के लिए अधिकारी पर दबाव डाला था। ठाकुर को चेक बाउंस होने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

महिला पुलिस को धमकी भी देने का है आरोप

शिकायत का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि जब राठौर ने उन्हें कहा कि ठाकुर को अदालत के आदेश के आधार पर गिरफ्तार किया गया है तो शुक्ला और श्रीवास ने पुलिस अधिकारी के चैम्बर में जाकर उन्हें कथित रूप से धमकी दी कि अगर उन्होंने ठाकुर को नहीं छोड़ा तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा और उनकी छवि खराब कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि शनिवार को राठौर के पुलिस शिकायत दायर करने के बाद शुक्ला और श्रीवास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

कुणाल शुक्ला ने पूरे मामले पर क्या कहा ?

शेख ने बताया कि मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और मामले में जांच जारी है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पिछले महीने आरटीआई कार्यकर्ता शुक्ला को कबीर संचार शोधपीठ का अध्यक्ष नियुक्त किया था जो यहां कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय में स्थित है। इस बीच दोनों आरोपियों ने इन आरोपों से इनकार किया है और दावा किया कि दुर्भावना के कारण पुलिस उन्हें गलत आरोप में फंसा रही है। शुक्ला ने कहा, ‘‘ये आरोप निराधार हैं क्योंकि पुलिस थाने में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। मैंने महिला पुलिस अधिकारी से सिर्फ अदालत का वारंट (जिसके आधार पर चेक बाउंस मामले में यह गिरफ्तारी की गई थी) दिखाने को कहा था।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘पुलिस ने संभवत: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से नोटिस मिलने के बाद गुस्से में आकर यह गलत मामला दर्ज किया है। पिछले साल रायपुर में जब मैं शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहा था तब मेरे खिलाफ हुई बर्बर कार्रवाई को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी से जवाब मांगा था।’’

श्रीवास ने यह भी बताया कि प्रदेश कांग्रेस सरकार से कई मुद्दों पर सवाल करने के कारण पुलिस उन्हें लगातार निशाना बना रही है और हालिया प्राथमिकी इसी का नतीजा है।


(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)