सार
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रदेश का सबसे बड़ा रावण का पुतला बनाया जाता है। लाखों लोगों की मौजूदगी में भव्य कार्यक्रम के बीच रावण दहन होता है ।
रायपुर( Chhattisgarh). पूरे देश में बुधवार को दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है। अलग-अलग शहरों में वहां की परम्पराओं को अनुसार रावण का पुतला दहन करके बुराई पर अच्छाई की जीत का ये त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रदेश का सबसे बड़ा रावण का पुतला बनाया जाता है। लाखों लोगों की मौजूदगी में भव्य कार्यक्रम के बीच रावण दहन होता है । पिछले 53 सालों से इस त्यौहार की पर रावण के पुतले बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ एक शख्स के कन्धों पर है और वो भी फ्री में रावण के पुतले बनाते हैं। इस शख्स का नाम राजपाल लुंबा है जो सालों से रावण व उसके परिवार के पुतले बनाते आ रहे हैं।
राजपाल लुंबा (79)का जन्म बंगाल में हुआ था। उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई तो वह पोस्टिंग पर छत्तीसगढ़ आ गए। लेकिन यहां का परिवेश उन्हें इतना पसंद आया कि वो यहीं के होकर रह गए। लुंबा ने अपने गृह राज्य बंगाल में ही दुर्गापूजा के लिए मिट्टी के पुतले बनाया करते थे। उनका ये हुनर आगे भी अनवरत जारी रहा और 53 सालों से वो छत्तीसगढ़ में दशहरे के लिए रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं।
सूबे का सबसे बड़ा पुतला बनाते हैं राजपाल
राजपाल लुंबा के द्वारा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रदेश का सबसे बड़ा रावण का पुतला बनाया जाता है। रायपुर की WRS कॉलोनी में रहने वाले लुंबा शरूआत में मोहल्ले में होने वाले दशहरा उत्सव के लिए पुतले बनाते थे, लेकिन धीरे-धीरे ये एक जूनून के रूप में बदल गया। आज हालात ये हैं कि लुंबा रायपुर के ऐतिहासिक दशहरे के लिए सूबे के सबसे लम्बे रावण का पुतला तैयार करते हैं। सबसे अच्छी बात ये हैं कि राजपाल लुंबा सालों से इस पुतले को तैयार करने के लिए कोई मेहनताना नहीं लेते हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का यह आयोजन सफलतापूर्वक हो भव्य तरीके से हो यह मेरी तपस्या है इसी भाव से रावण का पुतला हम तैयार करने के लिए कोई पैसा नहीं लेते ।
2 टन कागज 1500 बांस का उपयोग
राजपाल लुंबा के मुताबिक नगर निगम, जनप्रतिनिधियों, और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से रावण मेघनाद और कुंभकरण के पुतले तैयार होते हैं । इसमें 2 टन कागज, पंद्रह सौ से ज्यादा बांस लगाए गए हैं। हजारों मीटर कपड़े का इस्तेमाल हुआ है । कलर, पेंट , 100 किलो आटा जिससे कागज को चिपकाया जाता है। बकौल राजपाल दशानन का पुतला तैयार करने में कई दिन लग जाते हैं। लेकिन अब वह सालों से इस परम्परा का निर्वहन करते आ रहे हैं आगे भी करते रहेंगे।