सार

किसानों को गुरुवार को केंद्र से उनकी लंबित मांगों पर सहमति का औपचारिक पत्र मिल गया है, जिसके बाद सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर सालभर से डटे किसानों ने अपना विरोध वापस ले लिया और घर लौटने लगे हैं। किसानों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर सीएम बघेल ने कहा- ‘किसानों ने अपना आंदोलन वापस नहीं लिया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने शुक्रवार को बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि किसानों का आंदोलन (Kisan Andolan) अभी खत्म नहीं हुआ है। ये बस अभी रुका हुआ है। बता दें कि किसानों को गुरुवार को केंद्र से उनकी लंबित मांगों पर सहमति का औपचारिक पत्र मिल गया है, जिसके बाद सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर सालभर से डटे किसानों ने अपना विरोध वापस ले लिया और घर लौटने लगे हैं। किसानों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर सीएम बघेल ने कहा- ‘किसानों ने अपना आंदोलन वापस नहीं लिया है। बस, ये सिर्फ कुछ वक्त के लिए होल्ड पर रख लिया है। यानी स्थगित गया है। आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है। किसान पहले सरकार के प्रस्तावों को देखेंगे और फिर फैसला करेंगे।’

कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ छत्तीसगढ़ की तैयारियों पर मुख्यमंत्री ने कहा- ‘हम ओमिक्रॉन वैरिएंट के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। और हम प्रार्थना करते हैं कि यह छत्तीसगढ़ न आए।’दरअसल, किसानों ने बुधवार को अपना आंदोलन बंद करने की घोषणा की है। इस बारे में किसान नेता गुरुनाम सिंह चरूनी (Gurnam Singh Charuni) ने प्रेस कांफ्रेंस की और कहा था कि हमने अपना आंदोलन खत्म करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 11 दिसंबर को हम धरनास्थलों को भी खाली कर देंगे। हम 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक करेंगे। अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं। इससे पहले 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने कृषि कानून निरसन विधेयक पारित किया था।

कानून वापसी की प्रक्रिया हो चुकी है पूरी
तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे थे। इसके बाद 19 नवंबर को प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा से कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। प्रधानमंत्री ने किसानों से माफी मांगने और कृषि कानून वापस लेने की बात कही थी, इसके बाद भी किसान धरनास्थलों पर जमे हुए थे। उनका कहना था कि जब तक कृषि कानून दोनों सदनों से वापस नहीं ले लिए जाते वह यहां से नहीं हटेंगे।

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