सार
लॉकडाउन का सबसे गहरा असर अगर किसी पर पड़ा है तो वह है सबसे पहले रोजगार। जहां दिहाड़ी करने वाले मजदूरों तो छिन ही गई, वहीं बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब करने वाले कर्मचारियों में भी ये डर सता रहा है कि कहीं उनकी नौकरी भी खतरे में न आ जाए। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आाया है, जहां एक जिम ट्रेनर सब्जी बेचने को मजबूर है।
रायपुर. लॉकडाउन का सबसे गहरा असर अगर रोजगार पर पड़ा है। जहां दिहाड़ी करने वाले मजदूरों की रोजी-रोटी तो छिन गई, वहीं बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब करने वाले कर्मचारियों में भी नौकरी जाने का डर सता रहा है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आाया है, जहां एक जिम ट्रेनर सब्जी बेचने को मजबूर है।
डंबल्स की जगह थाम लिए तराजू-बांट
रायपुर के रहने वाले बॉडी बिल्डर भूपेंद्र नायक कल तक लोगों को फिटनेस की ट्रेनिंग देकर अपने 5 लोगों के परिवार का खर्चा उठाते थे। लेकिन, लॉकडाउन के चलते वह शहर के चौराहे पर सब्जी बेच रहे हैं। क्योंकि संक्रमण के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने 14 मार्च से ही प्रदेश में सभी जिम को बंद कर रखा है।
अब खुद को फिट रखना मुश्किल
बता दें कि भूपेंद्र नायक राजधानी रायपुर के एक इंटरनेशनल फ्रैंचाइजी जिम में काम करता था। जिसको 30 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि ट्रेनर खुद की फिटनेस बनाए रखने के लिए दूध, अंडे, प्रोटीन जैसी डाइट तक नहीं जुटा पा रहा है।