सार

चर्म रोगियों को लेकर आज भी अछूता-सा बर्ताव किया जाता है। इस बच्ची को भी यही भुगतना पड़ रहा था। लेकिन सरकार की पहल ने इस बच्ची की जिंदगी में फिर से खुशियों के रंग भर दिए हैं।
 

दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़. इस 9 साल की बच्ची गुड़िया(काल्पनिक नाम) को नहीं मालूम था कि वो कभी ठीक होगी की नहीं। मां-बाप ने भी उम्मीद छोड़ दी थी। क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि उनकी बच्ची को जो चर्म रोग हुआ है, उसका इलाज कहां संभव होगा? बाकियों को बच्ची से कोई लेनादेना नहीं था..वो जीये या मरे। लेकिन दुनिया में चंद ही सही, मगर अच्छे लोग भी हैं। किसी ने रास्ता दिखाया..और बच्ची की मां-बाप ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। उनकी फरियाद पर प्रशासन सक्रिय हुआ और फिर इस बच्ची का रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में इलाज चला। अब बच्ची 80 प्रतिशत ठीक हो चुकी है। डॉक्टरों ने कहा है कि बहुत जल्द बच्ची पूरी तरह ठीक हो जाएगी।


यह बच्ची दंतेवाड़ा जिले के बारसूर ब्लॉक के तुमरा गुमरा गुडा गांव की रहने वाली है। इसके चर्म रोग ने मानों इसका बचपन ही छीन लिया था। बच्चे साथ खेलने से डरते थे..बड़े लोग पास बैठाने से बचते थे। यानी बच्ची के साथ अछूतों सा बर्ताव होता था।

अज्ञानता और अंधविश्वास के चलते गांववाले बच्ची के साथ ठीक से पेश नहीं आते थे। बच्ची के मां-बाप ने भी यही मान लिया था कि शायद बच्ची कभी ठीक नहीं हो पाएगी। लेकिन सरकारी मदद से बच्ची का रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में इलाज कराया गया। अब बच्ची को डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया है। हालांकि उसे समय-समय पर अभी चेकअप कराना पड़ेगा। दवाइयां चलती रहेंगी।


जब बच्ची को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया, तो उसकी आंखों में चमक थी। उसके मां-बाप की आंखों से आंसू बह निकले। वे डॉक्टर और प्रशासन को धन्यवाद देते नहीं थक रहे थे। वे यही बोले कि प्रशासन की मदद से उनकी बच्ची को नई जिंदगी मिल गई, वे बहुत खुश हैं।