सार
मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है। इसलिए तो कहा गया है कि अगर ईश्वर को देखना है तो मां को देख लेना चाहिए। ऐसा मां की ममता का अद्भुत नजारा छत्तीसगढ़ के जशपुर में देखने को मिला हैं। जहां एक मां ने अपनी शहीद बेटे की याद में उसका स्मारक बनवा दिया।
जशपुर (छत्तीसगढ़). मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है। इसलिए तो कहा गया है कि अगर ईश्वर को देखना है तो मां को देख लेना चाहिए। ऐसा मां की ममता का अद्भुत नजारा छत्तीसगढ़ के जशपुर में देखने को मिला हैं। जहां एक मां ने अपनी शहीद बेटे की याद में उसका स्मारक बनवा दिया।
रोज सुबह-शाम उसे करती है दुलार
इतना ही नहीं यह मां जीवित बेटे की तरह इस प्रतिमा रोज सुबह शाम दुलार करती है। वह उस चबूतरे पर झाड़ू लगाती है जहां बेटे की स्मारक रखी गई है। उसको देखकर ऐसा लगता है कि वह अपने बेटे से बात कर रही हो। जो कोई भी इस ममत को देखता है तो उसकी आंखें भी नम हो जाती हैं। मां को पता है कि उसका बेटा अब कभी वापस नहीं आएगा, इसके बावजूद ममता का एहसास ऐसा है कि दूर रहकर भी वह उसके करीब है।
नक्सली हमले में शहीद हो गया था बेटा
बता दें कि ममता का यह नजारा जशपुर जिले के पेरवारा गांव में शहीद बसील टोप्पो के घर का है। शहीद बसील बस्तर के जिला पुलिस में तैनात था। उसकी पोस्टिंग बीजापुर भद्रकाली पुलिस थाने में थी। लेकिन साल 2011 में हुए नक्सली हमले में वह शहीद हो गया।
नहीं देखी होगी ऐसी मां की ममता
बेटे के शहीद होने की खबर जब मां को लगी उसका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वह अपने लाल को चाहकर भी नहीं भूल पा रही थी, अक्सर कहीं भी सिसक-सिसक कर रोती रहती थी। बेटे के अंतिम संस्कार के बाद उसने अपने पति से उसकी प्रतिमा लगाने की बात कही। पत्नी के बहते आंसूओं की खातिर पति ने उड़ीसा के कलाकारों के जरिए बेटे की प्रतिमा तैयार कर गांव में स्थापित करा दी। पिछले 9 साल से मां अपने बेटे को इस तरह प्यार कर रही है, मानों वह जिंदा है।