सार

आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोबारा सत्ता में आने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हर हाल में केजरीवाल को रोकने का मास्टर प्लान बना चुकी है

नई दिल्ली: अभी चुनाव आयोग ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया अनाउंसमेंट नहीं की है, मगर राजनीतिक दल मैदान में कमर कस चुके हैं। जहां आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोबारा सत्ता में आने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हर हाल में केजरीवाल को रोकने का मास्टर प्लान बना चुकी है। लोकसभा चुनाव 2019 में दिल्ली में बम्पर जीत हासिल करने के बाद बीजेपी ने जो मास्टर प्लान तैयार किया था, उस पर पिछले कई महीनों से अमल भी कर रही है।

दिल्ली फतह करने के लिए बीजेपी का मास्टरप्लान "मिशन 2020" है। इस मिशन के तहत पार्टी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 60 को जीतने का टारगेट सेट किया है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए कई बड़ी मीटिंग्स भी की हैं। जून 2019 में बीजेपी ने दिल्ली के लिए अलग अलग मुद्दों पर सर्वे भी कराया था। जिसके बाद करीब 3000 नेता और बड़े कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा के बाद अरविंद केजरीवाल की सत्ता को उखाड़ फेंकने की रणनीति तैयार की गई है।

#1. 1808 बूथों पर जीत की कोशिश

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली में जबरदस्त कामयाबी हासिल की थी। पार्टी ने सभी साथ सीटों को जीत लिया था। हालांकि दिल्ली की कुल 13,816 बूथों में से 1,808  पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। ये बूथ मुस्लिम मतदाताओं के प्रभाव वाले इलाके हैं। दिल्ली में भाजपा के संगठन मंत्री ने इन बूथों पर जीत हासिल करने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी।

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इसके तहत मुस्लिम समुदाय के साथ ही समाज के अन्य तबकों को पार्टी के साथ संपर्क कर जोड़ने की रणनीति बनाई गई थी। इसके लिए कार्यकर्ताओं से कहा गया था कि वो सुनिश्चित करें कि मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके तक मोदी सरकार की पॉपुलर योजनाओं का लाभ पहुंचे। हालांकि नागरिकता कानून के बाद मुस्लिमों के बीच बीजेपी की यह रणनीति फेल होसकती है, मगर अन्य तबकों में पार्टी को फायदा मिलने की संभावना है।

#2. बीजेपी की लोकप्रिय सरकारों का काम

दिल्ली की सत्ता में बीजेपी पहले काबिज रह चुकी है। पार्टी ए नेतृत्व में दिल्ली के विकास की नए सिरे से पहल भी हुई थी। मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा की सरकार में दिल्ली में बीजेपी ने कई उल्लेखनीय काम भी किए। पार्टी की कोशिश है कि मोदी सरकार की कलयांकारी योजनाओं के साथ ही दिल्ली में बीजेपी की पुरानी सरकारों के काम को आधार बनाकर जनता के बीच जाया जाए।

#3. वाल्मीकी समाज का आधार

पार्टी दलित समुदाय से आने वाले वाल्मीकी समाज के वोटरों को अपने साथ बनाए रखना चाहती है। दिल्ली में बसपा के कमजोर होने के बाद बीजेपी को इस समाज का काफी समर्थन भी मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने समाज को लुभाने के लिए सेलिब्रिटी सिंगर हंसराज हंस को टिकट दिया। हंस वाल्मीकी समाज से आते हैं और उन्होंने चुनाव में शानदार जीत हासिल की। हंस की मौजूदगी विधानसभा चुनाव मे पार्टी के लिए फायदेयंद साबित हो सकती है।

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#4. दलित मलिन बस्तियों पर नजर

बाल्मीकी समाज के अलावा बीजेपी की नजर अन्य दलित मलिन बस्तियों पर भी है। माना जाता है कि दिल्ली के स्लम एरियाज़ में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का तगड़ा वोट बैंक है। लोकसभा चुनाव के दौरान से ही बीजेपी यहां मुहिम चला रही है। पिछले चुनाव में पार्टी को यहां इसका फायदा भी मिला था। मनोज तिवारी समेत पार्टी के दिग्गज नेता 70 विधानसभा के झुग्गी बस्तियों में जा रहे हैं और वहां रात भी गुजार रहे हैं। स्लम एरिया की कॉलोनियों को वैध और उन्हें पक्का करना बड़ा मुद्दा आई। बीजेपी अभी से पोस्टर्स के जरिए इस मुद्दे को ज़ोर शोर से उठा रही है।