सार

कांग्रेस द्वारा एक दिन पहले ही जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची में पार्टी को जूनागढ़ की मांगरोल विधानसभा से विरोध का सामना करना पड़ रहा हैं।

अहमदाबाद(Gujrat). गुजरात में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियां प्रत्याशियों के चयन में लगी हुई हैं। राज्य में जहां सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को प्रत्याशियों के चयन में फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ रहा हैं। वहीं सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही कांग्रेस को भी प्रत्याशियों के चयन में काफी विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा हैं। कांग्रेस द्वारा एक दिन पहले ही जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची में पार्टी को जूनागढ़ की मांगरोल विधानसभा से विरोध का सामना करना पड़ रहा हैं। दरअसल यहां मुस्लिम समाज मुखर होकर वहां के वर्तमान कांग्रेस विधायक और अब प्रत्याशी बनाए गए बाबूभाई वाजा का विरोध कर रहा है।

जानकारी के मुताबिक मांगरोल विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक बाबूभाई वाजा का विरोध हो रहा है। इस बार भी पार्टी ने उन्हें ही टिकट दिया है। यहां से मुस्लिम समुदाय के लोग टिकट की मांग कर रहे हैं। इस बारे में स्थानीय लोगों ने सांसद शक्तिसिंह गोहिल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत किया हैं। शक्तिसिंह गोहिल ने बाबूभाई का उल्लेख किया तो लोग भड़क गये। मांगरोल विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य इलाका माना जाता है। इसके मद्देनजर स्थानीय लोग प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं।

पहली सूची में कई पूर्व प्रत्याशियों को फिर से टिकट 
गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रत्याशियों की प्रथम सूची में अर्जुन मोढवाडिया को पोरबंदर विधानसभा क्षेत्र तथा जसदण विधानसभा क्षेत्र से भोलाभाई गोहिल को रिपीट किया गया हैं। इसी तरह मांगरोल विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक बाबूभाई वाजा को फिर से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं गांधीनगर दक्षिण से डॉ.हिमांशु पटेल को चुनाव लड़ाने का निर्णय किया है। इस प्रकार प्रथम सूची में 10 पाटीदार, सात महिला और पांच अनुसूचित जाति के सदस्य को वरीयता दी गयी है। वहीं 11 आदिवासी और सात सवर्ण प्रत्याशी भी अपनी किश्मत आजमायेंगे।

27 साल से भाजपा है अजेय 
बता दें कि गुजरात राज्य की स्थापना 1960 से ही राज्य में कांग्रेस का शासन था। 1995 में भाजपा चिमनभाई पटेल की सरकार में शामिल हो गयी। इसके बाद हुए विविध चुनाव में भाजपा की विजय होती रही है। राज्य में भाजपा के शासन को 27 वर्ष होने जा रहे है। वह लंबे समय तक शासन करने के कांग्रेस के रिकॉर्ड को तो नहीं तोड़ पाई हैं लेकिन भाजपा का शासन काल भी काफी लंबा रहा है।