सार
Gujarat Assembly Election 2022: भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस और एआईएमआईएम राज्य में खासकर कच्छ में सांप्रदायिक झड़पें कराकर माहौल खराब करने की कोशिश में लगी हैं, मगर भाजपा की वजह से देश सुरक्षित हाथों में है।
गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच पहले चरण की वोटिंग के लिए अब केवल दो दिन का वक्त बचा है। 29 नवंबर की शाम पांच बजे से चुनाव प्रचार अभियान खत्म हो जाएगा। पिछली बार जहां गुजरात विधानसभा चुनाव में मुकाबला सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच था, वहीं इस बार कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मामला आप और एआईएमआईएम के आने से चतुष्कोणीय यानी चार राजनीतिक दलों के बीच हो गया है। कहीं-कहीं तो बीटीपी और निर्दलीय उम्मीदवार भी प्रमुख राजनीतिक दलों को टक्कर दे रहे हैं।
पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को हुई, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय थी। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर को हुई। गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए प्रचार अभियान 29 नवंबर की शाम पांच बजे खत्म होगा। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी।
21 हजार करोड़ कीमत की 3 हजार किलो हेरोइन जब्त हुई
फिलहाल बात करते हैं कच्छ जिले और यहां की विधानसभा सीटों की। दरअसल, पाकिस्तान की सीमा से सटे गुजरात के कच्छ जिले में अलग महीने पहले चरण में वोटिंग है। यहां 1 दिसंबर को मतदान होगा। इस बार यहां कुछ बड़े मुद्दे नशीली दवाओं की आवक, जल संकट और सांप्रदियक झड़पों की छिटपुट घटनाएं भी हैं। पिछले साल यानी वर्ष 2021 में ड्रग की एक बड़ी खेप यहां पकड़ी गई। करीब 21 हजार करोड़ रुपए कीमत की तीन हजार किलोग्राम हेरोइन कच्छ के मुंद्रा बंदरगाह से जब्त हुई थी। कच्छ गुजरात ही नहीं देश का भी सबसे बड़ा जिला है और पाकिस्तान के साथ जमीन और समुद्री सीमा शेयर करता है। बीते कुछ महीने में कच्छ में ड्रग्स जब्ती के अलावा भी गंभीर आपराधिक मामले सामने आए हैं। कांग्रेस इन्हें मुद्दा बना रही है, जबकि भाजपा का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी पड़ताल में काफी चीजें पता लगा ली हैं और कई जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई भी हुई।
कांग्रेस, आप और एआईएमआईएम ने ड्रग्स तस्करी को मुद्दा बनाया
दावा यह भी किया गया कि हेरोइन की पूरी खेप पश्चिम बंगाल के किसी ड्रग तस्कर की है। इस सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है और दावा कर रही है कि जनता में अब भी वह पहली पसंद है। दूसरी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस बार ड्रग जब्ती को ही मुद्दा बनाए हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र व राज्य सरकार ड्रग्स तस्करी रोकने में विफल रही है। राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता ललित वसोया के मुताबिक, सवाल यह नहीं है कि कितनी मात्रा में जब्त हुआ। यह तो सुरक्षा एजेंसियों की नजर में आ गई, मगर ऐसी कई और खेप होंगी, जो सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचकर निकल भी गई होंगी। राज्य के लोग जानना चाहते हैं कि सरकार ने ऐसी तस्करी रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कांग्रेस इस बार खासतौर से सीमावर्ती जिलों में ड्रग्स तस्करी पर लगाम लगाने का वादा कर रही है।
भाजपा राष्ट्रीय सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करती
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि विपक्ष निराधारा आरोप लगा रही है। इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स की जब्ती इस बात का उदाहरण है कि उनकी पार्टी कांग्रेस सरकार के विपरित राज्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं करती है। भाजपा प्रवक्ता सात्विक गढ़वी के अनुसार, भाजपा के लिए देश पहले आता है, जबकि कांग्रेस के लिए वोट बैंक पहले। ड्रग्स खेप की जब्ती साबित करती है कि देश और राज्य सुरक्षित हाथों में हैं।
6 में से 3 विधानसभा की सीमा पाकिस्तान से सटी है
बता दें कि 182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा के लिए वोटिंग एक और पांच दिसंबर को है। कच्छ जिले में पहले चरण में वोटिंग होगी। यहां 6 विधानसभा सीटें है, जिनमें अब्दासा, भुज, रापर, मांडवी, अंजार और गांधीधाम। इनमें अब्दासा, भुज और रापर विधानसभा की सीमा पाकिस्तान से लगती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन 6 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस ने रापर और अब्दासा में जीत दर्ज की। अब्दासा अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र है। हालांकि, अब्दासा से कांग्रेस विधायक 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। बाद में उपचुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में मौजूदा वक्त में पार्टी के इस जिले में पांच विधायक हैं।
2011 की जनगणना में कच्छ में सबसे अधिक 76 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, कच्छ जिले में हिंदुओं की आबादी 76.89 प्रतिशत है। वहीं मुस्लिम आबादी 21.14 प्रतिशत है। इसमें अब्दासा और भुज विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक है। 2002 के बाद के गोधरा दंगों के लिए कच्छ चर्चा में रहा था। वहीं, 2001 में इस जिले में जबरदस्त विनाशकारी भूकंप भी आया था, जिसमें 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि, पुलिस रिकॉर्ड पर गौर करें तो कच्छ में बीते दो साल में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, इनमें छिटपुट सांप्रदायिक घटनाएं भी शामिल हैं, जिससे सांप्रदायिक मुद्दों पर मतभेद उपजे हैं।
मुस्लिम आबादी सरकार और कानून व्यवस्था से संतुष्ट
हालांकि, मुस्लिम आबादी सरकार और कानून व्यवस्था से संतुष्ट है। भुज शहर में रहने वाले 68 साल के फल विक्रेता परवेज शेख की मानें तो राज्य समेत कच्छ में कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो यहां शांति रहती है और लोग एक दूसरे से मिलजुल कर रहते हैं। दोनों ही तरफ से कुछ लोग हैं, जो माहौल को खराब करने में लगे रहते हैं और अविश्वास का माहौल बनाते है। राजनीतिक दल इसी का फायदा उठाते हैं। वहीं, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस और एआईएमआईएम क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं, मगर भाजपा ऐसा होने नहीं देगी।
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