सार

इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी पर 3 दिन की ये कहकर रोक लगाई थी कि वो अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं।

नई दिल्ली। अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सोमवार को SC ने अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की और मजीठिया को चुनाव प्रचार करने की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी पर 23 फरवरी तक रोक लगाई है। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मजीठिया की गिरफ्तारी पर 3 दिन की ये कहकर रोक लगाई थी कि वो अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 23 फरवरी को संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने और ड्रग मामले में नियमित जमानत के लिए आवेदन करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को ड्रग मामले में 23 फरवरी तक गिरफ्तारी से राहत दी। मजीठिया को ये राहत पंजाब विधानसभा चुनाव (20 फरवरी) को ध्यान में रखते हुए दी गई है। कोर्ट ने मजीठिया को चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने के लिए यह राहत दी। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मजीठिया को 23 फरवरी को नियमित जमानत के लिए संबंधित कोर्ट के सामने सरेंडर करने का निर्देश दिया।

सीजेआई बोले- हमारे यहां लोकतंत्र हैं, उम्मीदवार नॉमिनेशन कर सकते हैं
सुनवाई के दौरान बेंच ने चुनाव से पहले राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाने के चलन पर चिंता जताई। CJI ने कहा- यह कहते हुए खेद है कि अचानक चुनाव से पहले ये मामले सामने आ रहे हैं और हर किसी के पास कुछ उद्देश्यों पर संदेह करने के कारण हैं। उन्होंने कहा कि हम एक लोकतंत्र में हैं। कम से कम उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने और चुनाव लड़ने की अनुमति देना चाहिए।

सीजेआई ने पंजाब सरकार को हिदायत दी
इतना ही नहीं, CJI रमना ने पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम से कहा कि कृपया अपने राज्य को सलाह दें कि ऐसा नहीं लगता कि आप प्रेरित कार्रवाई कर रहे हैं। CJI ने कहा कि पंजाब के एक अन्य राजनीतिक नेता की जमानत याचिका कल आ रही थी। इस पर चिदंबरम ने कहा कि जहां तक ​​​​इस मामले का संबंध है, यह लंबे समय से हाइकोर्ट की निगरानी में था। अन्य मामलों के संबंध में मैं सरकार को कोई राजनीतिक प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं करने की सलाह दूंगा।

मजीठिया के वकीले बोले- ये राजनीतिक कार्रवाई
मजीठिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। उन्होंने बताया कि 2004-2015 की समयावधि के अपराधों के संबंध में कार्यवाहक डीजीपी के निर्देश पर 20 दिसंबर, 2021 को प्राथमिकी दर्ज की गई। डीजीपी के पत्र में स्पेशल टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसकी सत्यता की जांच पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गठित एक उच्चाधिकार समिति द्वारा की जा रही है।

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