सार

इस बार का पंजाब चुनाव ना सिर्फ सियासी पंडितों के लिए बल्कि सट्टा बाजार के लिए भी काफी चौकाने वाला है। वह खुद भी तय नहीं कर पा रहे कि मतदाताओं का मूड क्या है? इसलिए सटोरिये खुद भी अपने स्तर पर सर्वे करा रहे हैं।

चंडीगढ़। पंजाब में यूं तो हर चुनाव में सट्टा लगाया जाता है। विधानसभा चुनाव भी इसका अपवाद नहीं है। मगर, अभी मतगणना में समय है। इसलिए हर रोज सट्टे के भाव कभी बढ़ रहे तो कभी कम हो रहे हैं। सट्टा इस बात को लेकर ही नहीं है कि कौन जीतेगा या हारेगा, इस बात पर भी लगाया जा रहा है कि कौन कितने वोट से जीत सकता है। कौन-सा दल सरकार बनाएगा। कैसे सरकार बनाएगा, इसे लेकर भी सट्टा बाजार गर्म है।

इस बार का पंजाब चुनाव ना सिर्फ सियासी पंडितों के लिए बल्कि सट्टा बाजार के लिए भी काफी चौकाने वाला है। वह खुद भी तय नहीं कर पा रहे कि मतदाताओं का मूड क्या है? इसलिए सटोरिये खुद भी अपने स्तर पर सर्वे करा रहे हैं। इस आधार पर रेट कम और ज्यादा किए जा रहे हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव में पांच हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का दांव लगा है। जैसे-जैसे मतगणना की तारीख नजदीक आती जा रही है, ‘किस पार्टी की सरकार बनेगी' पर दांव लगाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

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बहुमत से दोनों पार्टियां दूर, 2 हफ्ते से आप का ग्राफ बढ़ा
सटोरिये पंजाब में आम आदमी पार्टी का सबसे कम भाव दे रहे हैं। इसका मतलब यह माना जा रहा है कि सट्टा बाजार आम आदमी पार्टी को आगे रखे हुए है। ओपिनियन पोल में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को आगे होते दिखाया जा रहा है, लेकिन दोनों पार्टियों को बहुमत से दूर रखा जा रहा है।  पंजाब में सट्टे का बाजार 'झाड़ू' पर हावी होता दिख रहा है। सट्टा बाजार पिछले दो हफ्ते से आम आदमी पार्टी (आप) की भारी जीत का अनुमान लगा रहा है। जीत और हार दोनों के दाम खुले रखे जा रहे हैं। 

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अकाली दल की कीमत स्थिर
फरवरी के शुरुआती दिनों में आप 51 से 53-54 सीटों पर आगे चल रही थी लेकिन अब वह काफी आगे बढ़ रही है। सट्टे के बाजार में कांग्रेस दूसरे स्थान पर दिख रही है जबकि एक हफ्ते पहले यह आंकड़ा कम था। इस संबंध में अकाली दल की कीमत लगभग स्थिर हो गई है। हालांकि अकाली दल के बारे में एक बड़ा दावेदार होने का दावा किया जा रहा है। 

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दांव लगाने वालों को किया जा रहा कन्फ्यूज
सट्टा बाजार पर नजर रखने वालों ने बताया कि कई बार सट्टा बाजार बहुत रणनीतिक तरीके से दांव खेलता है। क्योंकि उनका उद्​देश्य तो पैसा कमाना है। इसलिए वह तथ्य तो जानते हैं कि आप को इतनी सीट नहीं आ रही हैं, जितनी दिखाई जा रही हैं। लेकिन आप को फेवरेट घोषित कर दांव लगाने वालों को असमंजस में डालने की कोशिश की जाए।

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2017 में भी सटोरियों ने आप की सरकार बना दी थी
क्योंकि एक गलत दांव से करोड़ों के व्यारे-न्यारे हो सकते हैं। इसलिए भी सट्टाबाजार बहुत राजनीतिक तरीके से दांव लगाता है। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में भी सट्टोरियों ने पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बना दी थी, कांग्रेस को दूसरे स्थान पर रखा था। इस बार भी इसी तरह की  स्थिति है।