सार

आखिर अब यह बयान क्यों दिया गया, इस पर पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि इसके कई मायने हैं। अभी तक क्योंकि भाजपा अकाली दल मिल कर ही सरकार बनाते रहे हैं। दोनों दल एक दूसरे के सपोर्टर रहे हैं। तीन कृषि कानूनों की वजह से दोनो की दोस्ती में दरार आ गई थी। 

अमृतसर। पंजाब चुनाव में मतदान के बीच अकाली दल के सीनियर नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो अकाली दल भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएगा। मजीठिया के इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या अकाली दल एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन करने जा रहा है? मजीठिया का ये बयान तब आया, जब पंजाब में मतदान चल रहा है। 

आखिर अब यह बयान क्यों दिया गया, इस पर पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि इसके कई मायने हैं। अभी तक क्योंकि भाजपा अकाली दल मिल कर ही सरकार बनाते रहे हैं। दोनों दल एक दूसरे के सपोर्टर रहे हैं। तीन कृषि कानूनों की वजह से दोनो की दोस्ती में दरार आ गई थी। इसलिए दोनों पार्टियां अलग अलग चुनाव लड़ रही है। अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ समझौता किया तो अकाली दल ने कैप्टन की पंजाब लोक कांग्रेस और अकाली दल बी के साथ गठबंधन किया है। 

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इस वक्त बयान के मायने क्या हैं? 
2012 में अकाली दल को 56 सीट मिली थीं।
भाजपा के सहयोग से सरकार बनी थी।
अकाली दल को तब 37.07 प्रतिशत वोट मिला था। 
कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट मिले और 46 सीट मिली थी।
तब भाजपा को सात प्रतिशत वोट मिले थे।
इसके बाद भी अकाली भाजपा गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब रहा था। 
अकाली दल 94 सीटों पर लड़ी और 56 पर जीती थी
भाजपा 23 सीटों पर लड़ी और 12 सीटें जीती थी। 

मजीठिया के बयान के निकाले जा रहे मायने
अब मजीठिया ने यह बयान देकर इशारा किया कि अकाली दल और भाजपा मिलकर सरकार बना सकते हैं। उन्होंने यह बयान उन वोटर को ध्यान में देकर दिया, जो अकाली दल भाजपा को लेकर असंमजस में हैं। उन्हें इशारा किया गया कि अब करना क्या है? 

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चुनाव में आरोप नहीं बस उलाहना भर दिए 
भाजपा और अकाली दल ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान  एक दूसरे पर कोई आरोप नहीं लगाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभा में अकाली को घेरने के लिए बस उलाहना दिया कि हमारे सहयोग से अकाली सरकार चल रही थी, लेकिन हमें डिप्टी सीएम का पद भी नहीं दिया गया था। इतना ही नहीं अकाली दल की ओर से भी भाजपा पर कोई आरोप नहीं लगाया गया। अकाली और भाजपा गठबंधन एक तरह से सेफ गेम खेल रहे थे। 

26 साल पूरान गठबंधन है, इसलिए याद तो आएगी ही 
अकाली दल और भाजपा का 26 साल से गठबंधन है। इस बार भले ही अलग अलग हो गए हो, लेकिन इतना लंबा रिश्ता जाहिर है याद तो रहेगा ही। यूं भी पंजाब में स्थिति यह है कि यदि किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो कांग्रेस न अकाली दल के साथ जा सकती है न आप के साथ। यही हाल आप का है, वह न तो अकाली दल के साथ न कांग्रेस के साथ। ऐसे में बचे अकाली दल और भाजपा गठंधन, जिन्हें एक दूसरे से परहेज नहीं है। इसलिए भी मजीठिया ने यह बयान दिया है। 

5% वोटर जीतने वाले के पक्ष में मतदान करते हैं
चुनाव में कम से कम ऐसे 5 प्रतिशत मतदाता भी हैं, जो हवा के साथ बहते हैं। इस बार क्योंकि पंजाब में किसी भी दल को स्पष्ट बहुत मिलता नजर नहीं आ रहा है। इस वजह से यह मतदाता कंफ्यूज है। लेकिन मजीठिया ने बयान देकर इनका कंफ्यूजन भी दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने बहुमत न मिलने पर भी सरकार बनाने का फार्मूला दिया है। जिससे अकाली दल और भाजपा गठबंधन को इसका लाभ मिल सकता है।

इस बार अकाली दल बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा
इस बार अकाली दल बसपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रहा है। हाल ही में अकाली दल ने कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था। भाजपा इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी अकाली दल (संयुक्त) के साथ चुनावी मैदान में है।