सार
सिक्की ने दो तरह से नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने अपना पहला नामांकन कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में, जबकि दूसरा बतौर निर्दलीय दाखिल किया है। सिक्की ने दोनों नामांकन दाखिल करते हुए कवरिंग उम्मीदवार के रूप में अपनी पत्नी तलवीन सहोता को मैदान में उतारा है।
जालंधर : पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Chunav 2022) नजदीक है और हर रोज कोई न कोई नेता सियासी चर्चाओं का केंद्र बन रहा है।। अब इसमें एक और नाम कांग्रेस प्रत्याशी रमनजीत सिंह सिक्की (Ramanjit Singh Sikki) का जुड़ गया है। खडूर साहिब (khadur sahib) विधानसभा क्षेत्र से विधायक और कांग्रेस उम्मीदवार रमनजीत सिंह सिक्की को डर है कि कांग्रेस आलाकमान उनका टिकट काट सकता है। इसलिए सिक्की ने दो तरह से नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने अपना पहला नामांकन कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में किया है जबकि दूसरा बतौर निर्दलीय दाखिल किया है। सिक्की ने दोनों नामांकन दाखिल करते हुए कवरिंग उम्मीदवार के रूप में अपनी पत्नी तलवीन सहोता को मैदान में उतारा है।
कौन हैं सिक्की
साल 2012 में वरिष्ठ अकाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा और 2017 में उनके बेटे रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा को हराकर विधायक बने रमनजीत सिंह सिक्की इस बार भी टिकट पाने में कामयाब रहे। लेकिन उन्हें अभी भी डर है कि कहीं कांग्रेस आलाकमान से सांसद जसबीर सिंह डिंपा उनका टिकट न कटवा दें। इसलिए उन्होंने बतौर निर्दलीय भी नामांकन दाखिल किया है।
दो जगह से नामांकन की वजह
दरअसल, सिक्की बैंक से डिफाल्टर हैं। बैंक ने एक पत्र चुनाव आयोग को लिख कर मांग की कि उनका नामांकन रोका जाए। इस पत्र को आधार बना कर उनके विरोधी भी सक्रिय हो गए हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि सिक्की बैंक का कर्ज वापस न करना उसकी मंशा का दिखाता है, कि वह कर्ज लेकर वापस नहीं करते। वह जानबूझकर कर्ज वापस नहीं कर रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। यदि वह चाहते तो कर्ज समय पर वापस कर सकते थे। लेकिन वह कर्ज जानबूझ कर वापस नहीं कर रहे हैं। विरोधी यह भी आरोप लगा रहे है कि जो विधायक समय पर बैंक का कर्ज वापस नहीं कर पा रहा है, वह कर्ज वापसी को लेकर गंभीर नहीं है। वह कैसे क्षेत्र के विकास को लेकर गंभीर हो सकता है।
ये भी आरोप
उन पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वह समर्थकों को साथ लेकर नहीं चल रहे हैं। यदि समर्थकों को साथ लेकर चलते तो पत्नी की बजाय किसी समर्थक को कवरिंग कैंडिडेट के तौर पर नामांकन कराते। इन आरोपों के चलते सिक्की खासे दबाव में हैं। हालांकि सिक्की ने कहा कि टिकट कटने का कोई डर नहीं है क्योंकि आलाकमान ने उन पर भरोसा दिखाया है। खडूर साहिब के रिटर्निंग ऑफिसर दीपक भाटिया ने कहा कि नामांकन की जांच के बाद, उम्मीदवार आमतौर पर एक से अधिक भरे हुए नामांकन पत्र वापस ले लेते हैं।
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