सार
ये पौधा यूट्रीकुलेरिया फर्सिलेटा पहले पूर्वोत्तर भारत में पाया गया था। लेकिन कहा जा रहा है कि 1986 के बाद से इस पौधे को देश में कभी नहीं देखा गया है। ये पहली बार है जब इस पौधे को देखा गया है।
चमोली. उत्तराखंड के वन विभाग की टीम को एक बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने एक मांसाहारी पौधे की खोज की है। दरअसल, चमोली जिले में यह दुर्लभ पौधा मिला है। है इसे यूट्रीकुलेरिया फर्सिलेटा (Utricularia Furcellata) के नाम से जाना जाता है। ये पौधा कीटभक्षी होता है। इसलिए इसे मांसाहारी भी कहा जाता है। ये पौधा कीड़े-मकोड़ों के लार्वे खाकर उनसे नाइट्रोजन (Nitrogen) लेता है।
कहां पाया जाता था ये पौधा
ये पौधा यूट्रीकुलेरिया फर्सिलेटा पहले पूर्वोत्तर भारत में पाया गया था। लेकिन कहा जा रहा है कि 1986 के बाद से इस पौधे को देश में कभी नहीं देखा गया है। ये पहली बार है जब इस पौधे को देखा गया है। इस पौधे की विशेषता के बारे में वैज्ञानिकों के कई तरह के दावे किए हैं। फिलहाल इस पौधे के मिलने के बाद वन विभाग की टीम में खुशी की लहर है।
कहां मिला है पौधा
जानकारी के अनुसार, वन विभाग की रिसर्च में यह पौधा चमोली जिले के सुरम्य मंडल की घाटी में पाया गया है। बताया जा रहा है कि पूरे पश्चिमी हिमालय में ये पौधा पहली बार देखा गया है। इस रिसर्च के बारे में ‘जर्नल ऑफ जापानी बॉटनी’ में पब्लिश किया गया है। जर्नल ऑफ जापानी बॉटनी प्लांट टैक्सोनॉमी और वनस्पति विज्ञान की 106 साल पुरानी जर्नल है। इसे इस फील्ड की महत्वपूर्ण जर्नल माना जाता है।
क्यों कहते हैं इसे मांसाहारी पौधा
यह पौधे की मांसाहारी प्रजाति है। इसका भोजन प्रोटोजोआ से लेकर कीड़े, मच्छर का लार्वा होता है। इस पौधे के बारे में कहा जाता है कि ये पौधे अपने शिकार के लिए एक अलग ही भूमिका तैयार करते हैं, जिसमें इनका शिकार फंस जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तरह के पौधे सिर्फ ऑक्सीजन नहीं देते हैं बल्कि वनों को खतरनाक कीटनाशकों से भी बचाते हैं। इस पौधे के बारे में कहा जाता है कि ये 2 से 4 सेंटीमीटर का होता है।
इसे भी पढ़ें- राजस्थान के बूंदी में एक जज का सख्त आदेश, कहा- स्वर्गलोक तलाशो या पाताल लोक लेकिन 'भगवान' को लेकर आओ
ऑनलाइन गेमिंग में किया ब्रेनवॉश, लड़की को लेने कतर से दौसा आया, बिहार में सामने आई शॉकिंग कहानी