जावेद अख्तर ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर दुख जताया और कहा कि दोनों देशों को शरणार्थियों को साथ लाकर उनकी बातें सुननी चाहिए थीं। उन्होंने कहा कि अब सुलह में देरी हो चुकी है और निकट भविष्य में रिश्ते सुधरने की उम्मीद कम है।
Javed Akhtar On India Pakistan Refugees : जावेद अख्तर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की सरकारों को 1950 के दशक में दोनों पक्षों के शरणार्थियों (refugees ) को एक साथ लाना चाहिए था और उन्हें अपनी बातें कहने का मौका दिया जाना चाहिए था। उन्हें अपनी कहानियां सुनाने का हक तो था। गीतकार ने सीधे तौर पर ना कहते हुए तत्कालीन सरकार के मुखिया पंडित जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
जावेद अख्तर ने भारत- पाकिस्तान के संबंधों पर किया रिएक्टमशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने हाल ही में एक इवेंट में कहा कि उन्हें संदेह है कि निकट भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच रिलेशन सुधरेंगे। दक्षिण अफ्रीका के Truth and Reconciliation Commission का हवाला देते हुए गीतकार ने कहा कि जिस तरह वहां रंगभेद के पीड़ितों और अपराधियों को एक साथ आने का मौका दिया, वैसा अवसर हमने खो दिया। जावेद ने इसे डिटेल शेयर करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान ने पार्टीशन के बाद एक ऐसा ही अवसर खो दिया, जिससे दोनों पक्षों में बड़े पैमाने पर displacement and shock हुआ था।‘फेयरवेल कराची’ किताब का किया विमोचन
फिल्म समीक्षक-लेखिका ( reviewer-writer) भावना सोमाया की किताब फेयरवेल कराची के रिलीज के अवसर पर उन्होंने कहा, "सुलह के लिए अब थोड़ी देर हो चुकी है। भारत में हमारे लोग ही जानते हैं कि 1947-48 के बाद उनके साथ क्या हुआ था। वहां के लोग जानते हैं कि उनके साथ क्या हुआ था। काश वे सभी एक बार साथ बैठते... 75 साल हो गए हैं, वे अब 90 के दशक में होंगे। उनमें से अब कितने ही जीवित होते?"
