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Gulzar Birthday: स्ट्रगल के दौर में मैकेनिक का काम करते थे गुलजार, जानिए कैसे शुरू हुआ था गाने लिखने का सफर
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गुजार अपने पड़ोसियों के यहां जाकर करते थे लिखने की प्रैक्टिस
गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। बचपन से ही उनको संगीत और लेखन में काफी इंट्रेस्ट था, लेकिन उनके पिता और भाई को गुलजार साहब का लिखना पसंद नहीं था। इस वजह से उन्हें कई बार डांट भी पड़ा करती थी, लेकिन गुलजार में लिखने की इतनी ललक थी कि वो अपने पड़ोसी के घर जाकर इसकी प्रैक्टिस किया करते थे।
मुंबई में मैकेनिक के तौर पर काम करते थे गुलजार
उसके बाद 1947 में देश का बंटवारा हो गया और इस वजह से उन्हें अमृतसर और दिल्ली में रहना पड़ा। इसके बाद वो काम की तलाश में मुंबई चले गए और तब शुरू हुआ उनका असली स्ट्रगल। वहां जा कर उन्होंने एक गैरेज में मैकेनिक के तौर पर काम किया। इस दौरान उनकी दोस्ती प्रोग्रेसिव राइटर एसोसिएशन के लेखकों से हुई और उसके बाद उन्हें अपने इंट्रेस्ट की फील्ड में काम मिलने लगा।
गुलजार का पहला सॉन्ग हुआ था सुपरहिट
फिर जाने माने गीतकार शैलेंद्र ने उन्हें पहला गीत लिखने के लिए कहा और रिलीज के बाद ये सॉन्ग हिट साबित हुआ और ऐसे गुलजार के लिए हिंदी सिनेमा के दरवाजे खुल गए। इसके बाद गुलजार ने सुपरहिट सॉन्ग्स लिखे।
गुजार ने लिखे हैं हर तरह के गाने
यहां तक कि गुजार ने गीत, शायरी के साथ-साथ बच्चों के लिए भी कमाल का साहित्य रचा। आज लगभग हर हिंदी स्कूल में कराई जाने वाली प्रार्थना हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करे, ये सब गुलजार द्वारा ही लिखी गई है।
गुजार को मिल चुका है ऑस्कर अवॉर्ड
गुलजार ने हर उम्र के लोगों को अपना दीवाना बना रखा है। उन्होंने जंगल-जंगल बात चली है पता चला है, टिप-टिप टोपी टोपी, आया झुन्नू वाला बाबा, ऐ पापड़ वाले पंगा न ले से लेकर फिल्म 'स्लम डॉग मिलेनियर' का सॉन्ग 'जय हो' तक लिखा है। खास बात तो यह है कि इसके लिए गुलजार को ऑस्कर और ग्रैमी अवॉर्ड भी मिले हैं।