सार
टेरेंस लुईस ने बताया कि सरोज खान को बॉलीवुड में क्यों सख्त रवैया अपनाना पड़ा। पुरुष-प्रधान इंडस्ट्री में महिलाओं को अपनी जगह बनाने के लिए कठोर बनना जरूरी था।
एंटरटेनमेंट डेस्क. पॉपुलर कोरियोग्राफर सरोज खान की 2020 में लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी। 40 साल से अधिक के करियर में, सरोज खान ने इंडियन सिनेमा में इस तरह से योगदान दिया कि उसे कभी भी चुकाया नहीं जा सकता। हालांकि, इंडस्ट्री के लोग अक्सर उनके सख्त व्यवहार के बारे में किस्से शेयर करते रहते हैं। वहीं अब कोरियोग्राफर टेरेंस लुईस ने इस बारे में बात की और बताया कि सरोज को लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों करना पड़ता था।
महिलाओं को इंडस्ट्री में टिकने के लिए करना पड़ता है यह काम
टेरेंस ने कहा, 'जो लोग यह सवाल करते हैं कि वो बुरा व्यवहार क्यों करती थीं या इतना अशिष्ट व्यवहार क्यों करती थीं। उन्हें यह जानने की जरूरत है कि इस इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए काम करना बहुत मुश्किल है। यहां पुरुषों का दबदबा है। इस वजह से यहां ओरतों को कठोर और मजबूत होना पड़ता है। इंडस्ट्री की बेरहमी उनमें मौजूद महिला को मार देती है। इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए उन्हें मर्द बनना पड़ता।'
मेल डॉमिनेटिंग इंडस्ट्री में महिलाएं ऐसे बनाती हैं जगह
टेरेंस ने आगे कहा, 'मुझे नहीं पता कि आपने ध्यान दिया है या नहीं, लेकिन मेल कोरियोग्राफर फीमेल कोरियोग्राफर की तुलना में अधिक शांत होते हैं। उन्हें पुरुषों की तुलना में ज्यादा गुस्सा आता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें बार-बार यह साबित करना पड़ता है कि 'अरे, मुझे हल्के में मत लो, वरना मैं तुम्हें मार डालूंगी। हम पुरुषों को यह उतना नहीं करना पड़ता, लेकिन एक महिला के रूप में, आपको इस मेल डॉमिनेटिंग इंडस्ट्री में काम ऐसे ही करना पड़ता है। यह काफी दुखद है। लोगों ने उनमें महिलाओं को मार डाला है। यही कारण है कि वो पुरुषों की तरह व्यवहार और बातचीत भी करने लगती हैं।'
आपको बता दें बॉलीवुड में सरोज खान के योगदान में की बात करें तो उन्होंने 2,000 से अधिक गानों की कोरियोग्राफी की है, जैसे 'हवा हवाई', 'एक दो तीन' और 'चोली के पीछे क्या है'।
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