Bharti Singh Struggle: भारती सिंह ने अपने पिता के निधन के बाद मां के साथ देखी गरीबी की दर्दनाक कहानी शेयर की। उनकी मां ने घर-घर सफाई कर बच्चों का पालन-पोषण किया।
Bharti Singh Emotional Family Story: कॉमेडियन भारती सिंह का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने बचपन में काफी मुश्किल दौर देखा था, क्योंकि जब वो सिर्फ दो साल की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद उनकी मां घर-घर में सफाई का काम करने लगी थीं। भारती ने राज शामानी के शो में ऐसे ही कई शॉकिंग खुलासे किए हैं।
भारती सिंह की मां को लोग क्यों लगाते थे डांट
भारती ने कहा, 'मुझे याद है कि मेरी मां किसी मालिक से डांट खाकर घर आई थीं। वो मेरी बहन को इस बारे में बताती थीं। अगर वो कोई प्लेट या कुछ और तोड़ देती थीं, तो वो बहुत परेशान हो जाती थीं। कभी-कभी, उन्हें चोट भी लग जाती थी और हम उनके हाथ पैर पर पट्टी बांधे हुए देखते थे। दिवाली पर, हम बेसब्री से अपनी मां का इंतजार करते थे, क्योंकि हमें पता था कि उन्हें मिठाई का डिब्बा मिलेगा। हम कभी मिठाई नहीं खरीद पाते थे। हम पटाखे नहीं खरीद सकते थे। हम नए कपड़े खरीदने की तो कल्पना भी नहीं कर सकते थे। हम लोगों द्वारा दिए पुराने कपड़े ही पहनते थे।' भारती ने साथ ही बताया कि जब वह 15 साल की थीं, तब उनकी माँ की शादी हो गई थी और 20 साल की उम्र तक उनके तीन बच्चे हो गए थे। 22 साल की उम्र तक, उनके पिता का निधन हो गया था।
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भारती की मां ने क्यों नहीं की थी दूसरी शादी ?
भारती कहती हैं, 'मेरी मां खूबसूरत थीं, उनके लंबे बाल थे। उनकी दोबारा शादी आसानी से हो सकती थी, लेकिन वो घरों में काम करने लगीं। मैं काम वाली की बेटी हूं। मुझे याद है कि कुछ दिन मैं उनके साथ काम पर जाती थी और औरतें उन्हें ठीक से पोछा लगाने के लिए कहती थीं। वो उन्हें बचा हुआ खाना देती थीं और हम बहुत खुश होते थे कि हमें कोफ्ते या दाल मखनी खाने को मिलेगी।'
भारती सिंह के पिता को हो गई थी यह बीमारी
भारती आगे कहती हैं, 'मैं दो साल की थी जब मेरे पिता चल बसे थे। उन्हें कॉलरा हो गया था और शराब पीने के बाद उन्हें खून की खांसी होती थी। मुझे उनकी कोई याद नहीं है। आज भी घर पर उनकी एक तस्वीर है, लेकिन मैं उन्हें पहचान नहीं पाती। वो मेरे लिए एक अजनबी हैं। मैं मां से कहती हूं कि पापा की तस्वीर उतार दें। वो मेरा मजाक नहीं उड़ाते, लेकिन उन्हें मुझ पर तरस आता था। टीचर हमें इस आधार पर अलग करते थे कि किसके पिता हैं और किसके नहीं, क्योंकि जिन बच्चों के पिता नहीं होते थे, उन्हें स्कूल की किताबें दे दी जाती थीं। मुझे नहीं पता था कि पिता क्या होता है, मैं अपने दोस्तों को अपने पिता के बारे में बात करते सुनती थी। मैंने सीखा कि पिता सख्त होते हैं और तोहफे लाते हैं। मेरे साथ यह सब नहीं होता था इसलिए मुझे लगता था कि मैं अलग हूं।'
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