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मृतक के कान-नाक में रुई क्यों लगाई जाती है? जानें अंतिम संस्कार से जुड़ी ऐसी ही 4 परंपराओं के कारण
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पहले से समय में दाह संस्कार चंदन की लकड़ी से ही करने की परंपरा था, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है। जिसके चलते दाह संस्कार के समय चंदन की लकड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा अग्नि में रखा जाता है। इसके पीछे कारण है कि हिंदू धर्म में चंदन की लकड़ी को बहुत ही पवित्र माना गया है और दूसरा कारण यह है कि चंदन की लकड़ी जलने से जो सुंगध उठती है वह मृत शरीर के जलने की बदबू को कम कर देती है।
व्यक्ति के मरने पर उसके आस-पास गौमूत्र का छिड़काव किया जाता है, इसके पीछे कारण है कि गौमूत्र को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है और इसके प्रभाव से निगेटिव शक्तियां मृत शरीर के पास नहीं आ पाती। अन्यथा निगेटिव शक्तियां मृत शरीर पर काबू करने की कोशिश करने लगती हैं।
जैसे ही किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसके सिर की ओर दीपक जरूर जलाया जाता है। इसके पीछे कई कारण छिपे हैं। दीपक की लौ से निकलने वाली गर्मी से सूक्ष्म जीव जीवन उस मृत शरीर के आस-पास आते ही नष्ट हो जाते हैं और इससे वातावरण में पॉजिटिविटी बनी रहती है। मृत शरीर के पास रखा हुआ दीपक परम पिता परमात्मा का प्रतीक भी होता है।
इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपे हैं। जब भी किसी प्राणी की मृत्यु होती है तो उसका शरीर उसी समय से डिकंपोज होने लगता है यानी सड़ने लगता है। जिसकी गंध से अन्य छोटे जीव उसके आस-पास आने लगते हैं। ये जीव नाक या कान के माध्यम से शरीर में न चले जाएं, इसलिए इन्हें रुई से ढंक दिया जाता है। कई बार मृतक के कान-नाक से खून या अन्य कोई द्रव्य निकलने लगता है। इसलिए भी ये परंपरा निभाई जाती है।