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Navratri 2022: भारत में कहां, किस रूप में मनाई जाती है नवरात्रि? इस पर्व से जुड़ी हैं कई खास परंपराएं
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पश्चिम बंगाल में नवरात्रि का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इसे वहां दुर्गा पूजा कहते हैं। इसे वहां का सबसे बड़ा त्योहार भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में नवरात्रि का पर्व छठे दिन से शुरू होता है जिसे बोधन कहा जाता है, जिसका अर्थ है माता का आवाहन। ये पर्व दसवे दिन तक चलता है। यहां देवी दुर्गा को बेटी के रूप में माना जाता है और इनके आने पर नाच-गाकर खुशियां मनाई जाती हैं। इस दौरान यहां बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं जहां देवी की विशाल मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।
तमिलनाडु में नवरात्रि का पर्व बोमई गोलू या नवरात्रि गोलू के नाम से मनाया जाता है। इस दौरान यहां परंपरागत गुड़ियां दिखने लगती हैं। इन गुड़ियां को 7, 9 या 11 के ऑड नंबर में लगाया जाता है। नवरात्रि के दौरान इन गुड़ियाओं की झांकी सजाई जाती है। लोग अपने घरों में दिए जलाते हैं और भजन भी गाते हैं। माना जाता है कि ये परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है।
देश में अन्य राज्यों की तरह महाराष्ट्र में भी नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। यहां गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है और देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान महाराष्ट्र में महिलाएं सुहागिन महिलाओं को घर बुलाकर उन्हें सुहाग की चीज़ें जिसे सिन्दूर, बिंदी, कुमकुम आदि से सजाती हैं।
वैसे तो पूरे देश में नवरात्रि का पर्व पूरे 9 दिनों तक मनाया जाता है लेकिन केरल में ये पर्व अंतिम 3 दिनों तक ही मनाया जाता है। इस दौरान यहां लोग देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और और देवी के चरणों में अपनी किताबें, पेन, पेंसिल आदि चीजें रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी सरस्वती कृपा उन पर बनी रहेगी और उन्हें ज्ञान और सद्बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
नवरात्रि पर्व की सबसे अधिक धूम गुजरात में देखने को मिलती है। यहां की संस्कृति में नवरात्रि का पर्व अलग ही छटा बिखेरता है। यहां लोग 9 दिनों तक गरबा डांस कर देवी को प्रसन्न करते हैं। इसे डांडिया रास भी कहते हैं। इन 9 दिनों तक गुजरात में रात में भी दिन जैसी रौनक देखने को मिलती है। परंपरागत वेशभूषा में जब हजारों लोग एक जैसे गरबा रास करते हैं तो ये दृश्य बहुत सुंदर दिखाई देता है।
आंध्रप्रदेश में नवरात्रि पर्व बतुकम्मा के रूप में मनाया जाता है। बतुकम्मा का अर्थ है माँ देवी जीवित हैं। ये त्योहार नौ दिनों तक बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान फूलों से सात सतह से गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है। बतुकम्मा को महागौरी के रूप में पूजा जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व देवी पार्वती को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता था।
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