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Ford Motor अब इस तरह करने जा रहा भारत में वापसी, PLI scheme की लिस्ट में नाम होने का क्या है मतलब
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फोर्ड मोटर उन 20 कार निर्माताओं में से एक है जिन्हें केंद्र की पीएलआई योजना की 'चैंपियन ओईएम प्रोत्साहन योजना' के तहत चुना गया है।
ग्लोबल ईवी स्कीम के तहत करेगी काम
भारत में अपनी कारों का उत्पादन बंद करने के बावजूद, फोर्ड मोटर का केंद्र की पीएलआई योजना में शामिल होना कई लोगों के लिए चौंकाने वाली बात हो सकती है। यहां स्पष्ट कर दें कि अमेरिकी कार कंपनी के चयन का मतलब यह नहीं है कि वह भारत में कारों का उत्पादन और बिक्री शुरू करेगी। दरअसल कार निर्माता आने वाले दिनों में अपनी ग्लोबल ईवी स्कीम का विस्तार करने के लिए भारत में अपनी सुविधाओं का उपयोग करने की योजना बना रहा है।
ईवी वाहनों को करेगी पेश
केंद्र द्वारा पीएलआई योजना में शामिल कार निर्माताओं की लिस्ट का ऐलान करने के बाद, फोर्ड ने कहा कि वह निर्यात के लिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोडक्शन करने की योजना बना रही है। कार निर्माता ने पहले इस दशक के भीतर ईवी और बैटरी में 30 बिलियन डॉलर का इंवेस्ट करने की अपनी योजना का खुलासा किया था।
फोर्ड मोटर भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री की संभावना से इंकार नहीं करता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने फोर्ड इंडिया के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा, "अभी इस पर कोई विशेष चर्चा नहीं हुई है, लेकिन यह भविष्य के विचार के दायरे से बाहर नहीं है।" बता दें कि कंपनी ग्लोबल स्तर पर ईवी के प्रोडक्शन और सैलिंग की योजना बना रही है।
साणंद और मराईमलाई प्रोडक्शन यूनिट
भारत में कारों के उत्पादन को बंद करने से पहले, फोर्ड साणंद और मराईमलाई (Sanand and Maraimala) में दो फैक्ट्रियां संचालित करती थी। अमेरिका स्थित कार निर्माता ने कहा है कि वह भारत में एक संयंत्र का उपयोग करने की संभावना तलाश रही है, संभवतः साणंद, गुजरात (Sanand, Gujarat) में, ईवी प्रोडक्शन के लिए निर्यात आधार के रूप में शुरू कर सकती है। फोर्ड अधिक किफायती ईवी के उत्पादन के लिए भारत को चुन सकता है।
भारत में ईवी बनाने के लिए फोर्ड मोटर को केंद्र की मंजूरी भी टेस्ला के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी पिछले कई महीनों से भारत में एंट्री के लिए सरकार पर आयात शुल्क कम करने के लिए दवाब ना रही है। टेस्ला ने भी अभी तक भारत में अपनी उत्पादन योजना परकाम शुरू नहीं किया है।
2 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान
फोर्ड ने पिछले 10 वर्षों में 2 अरब डॉलर से अधिक के परिचालन घाटे का हवाला देते हुए इस साल 9 सितंबर को भारतीय बाजार के लिए कार बनाना बंद कर दिया था।
इससे पहले फोर्ड इन कारखानों को लीज पर देने के लिए भारत में अन्य कार निर्माताओं के साथ बातचीत कर रही थी। महिंद्रा के साथ लंबी चर्चा के बाद बात नहीं बनी है।
completely built unit के तहत बेचेगी कार
जब फोर्ड ने भारत में अपनी प्रोडक्शन यूनिट बंद करने का ऐलान किया था तो उसने कहा था कि वह अपनी कारों को पूरी तरह से निर्मित इकाई (completely built unit ) मार्ग के जरिए कारों का व्यापार जारी रखेगी। फोर्ड मस्टैंग जैसे मॉडल जो भारत में बहुत पसंद किए जाते हैं, ये मॉडल अब विदेशों से कंप्लीट बिल्ट यूनिट के तौर पर लाए जाएंगे। जब फोर्ड ने भारत छोड़ा, तो कार निर्माता भारत में एंडेवर, इकोस्पोर्ट, फिगो, फिगो एस्पायर (Endeavour, EcoSport, Figo, Figo Aspire) और फ्रीस्टाइल (Freestyle) जैसे मॉडल बेच रही थी।