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Russia Ukraine war : ऑटो इंडस्ट्री को भारी नुकसान, कारों सहित एसेसरीज की बढ़ सकती हैं कीमतें
ऑटो एंड बिजनेस डेस्क। वोक्सवैगन, रेनॉल्ट और टायर निर्माता नोकियन टायर्स (Volkswagen, Renault and tyre maker Nokian Tyres) सहित कई वाहन निर्माताओं ने यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से अपनी प्रोडक्शन यूनिट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। वहीं कुछ कंपनियां अपनी यूनिट को ट्रांसफर करने की रणनीति तैयार कर ली है। इस बीच अमेरिका ने रूस के खिलाफ export restrictions का ऐलान किया है। युद्ध की वजह से सेमीकंडक्टर सहित कच्चे माल के वैश्विक निर्यात में बाधा पहुंची है। वहीं ये स्थितियां लंबे समय तक बनी रह सकती हैं, यही वजह है कि कंपनियां अपनी यूनिट को यहां से हटाने के लिए मजबूर हो रही हैं। देखें यूक्रेन की स्थितियां...
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फॉक्सवैगन ने बंद किए दो कारखाने
यूक्रेन में ऑटो पार्ट्स बनाने में देरी के बाद वोक्सवैगन दो जर्मन फैक्ट्री में कुछ दिनों के लिए प्रोडक्शन बंद कर दिया है। वहीं रेनॉल्ट ने रूस में अपने कार असेंबली प्लांट्स को अगले कुछ हफ्तों के लिए बंद किया है, जानकारी के मुताबिक कंपनी को यहां जरुरत की रॉ मटेरियल मिलने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं रेनॉल्ट समूह द्वारा नियंत्रित रूसी कार निर्माता अवतोवाज़ (Russian carmaker Avtovaz), कंपोनेंट की लगातार वैश्विक कमी की वजह सेंटर रूस में अपने कारखाने में कुछ असेंबली लाइनों को कुछ समय के लिए सस्पेंड कर सकती है।
कई कंपनियों ने घटाया टारगेट
इस आक्रमण के बाद, परामर्श फर्म जेडी पावर और एलएमसी ऑटोमोटिव (consulting firms JD Power and LMC Automotive) ने अपने 2022 वैश्विक नई-कार की सेल के टारगेट को 400,000 वाहनों से घटाकर 85.8 मिलियन यूनिट कर दिया। यह फैसला तब लिया गया है जब ग्लोबल सेमीकंडक्टर की कमी के कारण ऑटो उद्योग पहले से ही हेडविंड से निपट रहा है।
एलएमसी में वैश्विक वाहन प्रिडक्शन के प्रेसीडेंट जेफ शूस्टर (Jeff Schuster, president of global vehicle forecasts at LMC) ने रॉयटर्स को बताया, "यूक्रेन में संघर्ष की गंभीरता और इसकी लंबी अवधि के की वजह से दुनिया भर में वाहनों की सप्लाई पर असर पड़ेगा, वहीं इससे वाहनों की कीमतें भी बढ़ेंगी। और उच्च कीमतों पर अतिरिक्त दबाव होगा।"
पेट्रोल की कीमतें घटायेगी कारों की बिक्री
इसके अलावा, रूस-यूक्रेन संघर्ष की वजह से कच्चे तेल की कीमतें को 105 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी हैं। इससे इससे यूरोपीय और अमेरिकी कस्टमर्स पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
वेल्स फ़ार्गो के विश्लेषक कॉलिन लैंगन ने एक रिसर्च नोट में कहा है कि जबकि उपभोक्ता पहले से ही नए वाहन खरीदने के लिए स्टिकर मूल्य से अधिक का भुगतान करने को तैयार हैं, लेकिन पेट्रोल की निरंतर बढ़ती कीमतें ये स्थिति को जारी नहीं रखनी देंगी।
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