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रवि किशन को मां ने दी थी घर से भागने की सलाह, नचनिया बनने पर पिता ने की थी जमकर पिटाई
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आज रवि किशन किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने फिल्मों के जरिए जो पॉपुलरिटी हासिल की है, उन्हें यूपी-बिहार का बच्चा - बच्चा जानता है।
इसी का नतीजा है कि वह यूपी की गोरखपुर सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। हालांकि रवि किशन को 2014 के आम चुनावों में जौनपुर से शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
रविकिशन को भोजपुरी इंडस्ट्री को आगे ले जानने का श्रेय भी दिया जाता है। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया और यहां अपनी पहचान स्थापित की है।
रवि किशन को हिंदी फिल्म 'तेरे नाम' के लिए सर्वश्रेष्ठ सह- अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। वहीं साल 2005 में भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' के लिए इस अभिनेता को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था।
रवि किशन, मनोज तिवारी से सीनियर एक्टर हैं। उन्हें हिंदी के साथ भोजपुरी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त फिल्मों का हिस्सा होने के लिए भी जाना जाता है।
रवि किशन गांव की रामलीला में उनकी आकर्षक मुख मुद्रा होने की वजह से सीता बनते थे। महिला का रोल करने पर पिताजी उनकी तबियत से कुटाई भी कर देते थे। शुक्ला परिवार के मुखिया उनके नचनिया का रोल करने से भी आग बबूला हो जाते थे।
बेटे की एक्टिंग से लगन और पिता के विरोध के चलते उनकी मां ने उन्हें घर से भागकर करियर बनाने की सलाह दी थी। भोजपुरी फिल्मों में भाग्य आज़माने की सलाह भी उन्हें मां से ही मिली थी।
वहीं रवि किशन ने बालिग होने से पहले ये तय कर लिया था कि उन्हें एक्टिंग करनी है, इसके लिए आखिरकार उन्होंने घर छोड़ दिया था।
रवि किशन ने एक बार अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा था कि कई सालों तक फिल्मों में काम करने के उन्हें पैसे नहीं मिलते थे। लोग तो पैदल चलकर शिखर पर पहुंचते है, लेकिन वे रेंगकर ऊपर आए हैं।