- Home
- States
- Bihar
- बिहार चुनाव में इन 2 चेहरों पर भी नजरें, एक CM तो दूसरे की ख्वाहिश डिप्टी CM; कैसे पूरी होगी इच्छा
बिहार चुनाव में इन 2 चेहरों पर भी नजरें, एक CM तो दूसरे की ख्वाहिश डिप्टी CM; कैसे पूरी होगी इच्छा
- FB
- TW
- Linkdin
पुष्पम प्रिया चौधरी ने जहां प्लूरल्स पार्टी बनाई है वहीं, मुकेश साहनी ने विकासशील इंसान पार्टी का गठन किया है। दोनों नेताओं ने कॉर्पोरेट स्टाइल में बड़े विज्ञापन, धुआंधार प्रचार और बड़े-बड़े वादे करके जनता के बीच बहुत जल्दी पहचान बना लिए हैं। हालांकि उनका रास्ता इतना भी आसान नहीं है, जिनके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।
देवदास, बजरंगी भाई जान जैसी फिल्मों के डिजाइन तैयार करने वाले मुकेश साहनी खुद को सन आफ मल्लाह कहते हैं। पिछले चुनाव में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर मल्लाह वोटर्स में अपनी अलग पहचान बना लिए। वहीं, भाजपा उन्हें नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा का काट मानने लगी थी।
(फाइल फोटो)
बताते हैं कि संभवतः इसी लिए जेडीयू से दोस्ती टूटने के बाद 2015 में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने साथ 40 सभाओं पर मंच साझा किया था। हालांकि परिणाम बीजेपी की सोच से विपरित आया तो उन्हें महत्व देना कम कर दिया।
मुंबई जाकर अपना काम संभालने वाले मुकेश साहनी पिछले साल फिर बिहार की राजनीति में इंट्री लिए और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) बनाकर मल्लाह विरादरी के अब अच्छे नेता के रूप में पहचान बनाने में कामयाब हो गए। जिसे देखते हुए आरजेडी ने उन्हें इस बार अपने साथ ले लिया है।
खुद तेजस्वी यादव उन्हें नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा और जीनतराम मांझी की काट मानते हैं, क्योंकि माना जाता है कि मल्लाह वोटरों में इनकी अच्छी घुसपैठ है, जो अब डिप्टी सीएम का पद और अपनी पार्टी के लिए 25 सीट की डिमांड महागठबंधन से कर रहे हैं। वे अपने समर्थकों से कहा करते हैं बिहार में 3 पर्सेंट वाले मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो हम 14 परसेंट वाले डिप्टी सीएम क्यों नहीं बन सकते।
पुष्पम प्रिया चौधरी इस साल कुछ माह पहले लंदन से पढ़ाई पूरी करके आई और अचानक मीडिया में छा गई। उन्होंने प्लूरल्स पार्टी का गठन किया और सभी अखबारों में विज्ञापन देकर खुद को सीएम पद दावेदार बताया। हालांकि, अभी तक निर्वाचन आयोग में उनकी पार्टी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी पूरी हो पाई है। लेकिन, सोशल मीडिया पर उनकी फैन फालोइंग लगातार बढ़ती जा रही है।
पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार को अलग किस्म की पार्टी देने के लिए प्रत्याशियों का चयन संभलकर जांच परख के साथ कर रही हैं। इतना ही नहीं गांव-गांव जाकर खुद प्रचार कर अपना माहौल बना रही हैं। वे जनता से सीधे कनेक्ट होने का हुनर जानती हैं और सबसे पिछड़े एरिया का दौरा कर रही हैं।
बताया यह भी जा रहा है कि पहले चरण में होने वाले सीटों पर उनके प्रत्याशियों को निर्दल के ही तौर पर चुनाव लड़ना होगा, क्योंकि अभी चुनाव आयोग में उनकी पार्टी का चिन्ह् आवंटित नहीं हुआ है।
बंद पड़े कारखानों और बेरोजागरों की तस्वीर भी सोशल मीडिया में ला रही हैं। हालांकि जानकार मानते हैं कि यदि वे किसी दल से गठबंधन कर ले तो परिणाम और बेहतर आ सकता है।