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जिसके पति की हत्या का लगा है आरोप, उसी की बीवी के खिलाफ दानापुर से चुनाव लड़ रहा रीतलाल
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दानापुर विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगाकर आशा देवी ने वहां भाजपा का गढ़ बना दिया है। इस बार उन्होंने 1.58 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई है। आशा देवी और रीतलाल की भिड़ंत 2010 में भी हो चुकी है। उस समय रीतलाल ने निर्दलीय ताल ठोकी थी और हार का सामना करना पड़ा था। इस बार रीतलाल ने लालटेन थामा है। मुकाबले में 17 और प्रत्याशी हैं, पर टक्कर आमने-सामने की है।
रीतलाल पटना के कोठवां गांव के रहने वाले हैं। 90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक उनका वर्चस्व था। बताते हैं कि रेलवे के दानापुर डिवीजन से निकलने वाले हर टेंडर पर उनका कब्जा रहता था। कहा तो यह भी जाता है कि उनके खिलाफ जाने की कोशिश करने वाला जान की कीमत चुकाता था।
(फाइल फोटो)
रीतलाल पहले अपने गांव के मुखिया हुआ करते थे। बताते हैं कि 30 अप्रैल 2003 को जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेल पिलावल-लाठी घुमावल रैली कर रहे थे, इसी दौरान रीतलाल ने खगौल के जमालुद्दीन चक के पास दिनदहाड़े भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह को उनकी ही गाड़ी में गोलियों से भून दिया था, जिनके पत्नी आशा देवी के खिलाफ इस बार चुनाव भी लड़ रहा है।
भाजपा नेता की हत्या के बाद रीतलाल तब और सुर्खियों में आ गया जब चलती ट्रेन में बख्यिारपुर के पास दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद रीतलाल ने अपने विरोधी नेऊरा निवासी चून्नू सिंह की हत्या छठ पर्व के समय घाट पर उस समय कर दी थी जब वो घाट बना रहे थे।
चुन्नू को पुलिस का मुखबिर बताया गया था, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ उसके पीछे पड़ गई। लेकिन, रीतलाल तक कभी नहीं पहुंच सकी। हालांकि साल 2010 में खुद आत्म समर्पण कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गया। बाद में जेल से ही एमलसी बन गया था। साल 2012 में रीतलाल पर मनी लॉन्ड्र्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।
भाजपा नेता की हत्या के बाद वो डॉन के नाम से जाना जाने लगा। इस घटना के बाद उसके गुर्गों ने एकबार फिर शिक्षण संस्थान के मालिक से एक करोड़ रुपए रंगदारी की मांग की थी। बता दें कि ये रंगदारी तब मांगी गई थी, जब वह पटना के बेऊर में जेल में बंद था।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र सीट से लड़ रही थीं। भाजपा ने उनके खिलाफ लालू के ही पुराने साथी राम कृपाल यादव को उतारा था। देश भर में जिन सीटों की चर्चा थी उनमें ये सीट भी थी। रीतलाल भी यहां से लड़ने की तैयारी में थे। ऐसे में मीसा की मुश्किले बढ़ गई थी। कहते हैं कि लालू ने रीतलाल से मदद मांगी थी। उन्हें राजद का महासचिव भी बना दिया गया था। हालांकि, उसके बाद भी मीसा यहां से जीत नहीं सकीं थीं। साल 2016 में रीतलाल विधान परिषद से निर्दलीय पर्चा भर दिया और वो जीत भी गए। उस समय जेल में था और इसी साल अप्रैल में जमानत पर रिहा किया गया है।