रेस में पप्पू यादव भी, CM पद के 6 दावेदार; सबका मुकाबला एनडीए के नीतीश कुमार से
पटना (Bihar) ।बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) की 243 सीटों पर तीन चरण में चुनाव हो रहा है। कोरोना के संक्रमण काल में हो रहा इस बार का चुनाव कई मामलों में अलग है। जी हां राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन की संख्या इस बार ज्यादा है। इतना ही नहीं सीएम पद के लिए दावेदारों की भी संख्या भी 6 पहुंच गई है। बता दें कि इन सबका मुकाबला एनडीए के नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से ही है। जिनके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।
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भाजपा,जदयू, हम और वीआईपी के गठबंधन एनडीए ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही सीएम फेस घोषित किया है। लेकिन, राजद, कांग्रेस और तीन वामदलों के महागठबंधन ने तेजस्वी प्रसाद यादव तो छह दलों को मिलाकर बने ग्रांड डेमोक्रेटिक सेकुलर एलायंस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ने पप्पू यादव को अपना सीएम फेस घोषित किया है। दूसरी ओर प्लुरल्स नाम से नई पार्टी बनाने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने भी खुद को अगला सीएम फेस घोषित कर रखा है। उधर, चिराग पासवान ने खुद को कभी सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन उनकी पार्टी ने उन्हें सीएम पद का दावेदार बताया है।
नीतीश कुमार चार बार से सीएम हैं। उनके पास राजनीति का लंबा अनुभव है। वे पहली बार 1985 में विधायक बने थे। इसके बाद 9वीं लोकसभा के लिए 1989 में पहली बार चुने गए। फिर, 1991, 1996, 1998, 1999 व 2004 में भी लोकसभा के लिए चुने गए थे। इस दौरान 5 बार केंद्रीय मंत्री भी बने थे। उन्होंने बिहार में पूर्ण शराब बंदी जैसे फैसले लिए,जो आज भी सख्ती से लागू है। वे इस बार एनडीए की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार हैं।
तेजस्वी यादव पिछले ही विधानसभा चुनाव राजनीति में इंट्री लिए और राघोपुर से विधायक बने थे। डेढ़ साल तक डिप्टी सीएम रहने के बाद नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे। पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए आवाज उठाते रहे है। इस बार महागठबंधन की ओर से सीएम फेस हैं। उनके खाते में सामाजिक बदलाव के लिए पिता लालू प्रसाद और मां राबड़ी देवी द्वारा किए गए कार्य हैं।
पप्पू यादव प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन की ओर से सीएम फेस हैं। इनका राजनीतिक करियर काफी लंबा है। वो 1990 में पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे। इसके बाद कई बार सांसद चुने गए। साल 2015 में लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गए थे। इसी साल उन्होंने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) बनाई थी। वे कई समाजिक कार्य किए। पिछले साल बाढ़ के दौरान उन्होंने पटना के कई घरों में सहायता पहुंचाई। इसके पहले भी हर आपदा में वह लोगों के साथ खड़े रहते हैं।
उपेंद्र कुशवाहा साल 2000 में पहली बार विधायक, विधानसभा के उप नेता और फिर नेता प्रतिपक्ष बने थे। जदयू में थे बाद में 2013 को रालोसपा का गठन किए। 2010 में जदयू कोटे से राज्यसभा गए। 2014 में एनडीए में शामिल हुए और सांसद बने 2014 में केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बने। वे शिक्षा के सुधार को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे। वे इस बार ग्रांड डेमोक्रेटिक सेकुलर एलायंस की ओर से सीएम फेस हैं।
पुष्पम प्रिया चौधरी लंदन से पढ़ाई करने के बाद बिहार की राजनीति में इसी साल मार्च में आई और प्लुरल्स पार्टी बनाई। वो जदयू के पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की पुत्री हैं। उन्होंने राजनीति में आते ही खुद को सीएम पद के लिए दावेदार बताया। गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रही हैं और वहां बंद पड़े फैक्ट्रियों की तस्वीरें बेरोजगारों से बातचीत कर शेयर करती रही हैं। वे इस बार चुनाव अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारी हैं। हालांकि पहले चरण के होने वाले चुनाव में उनके काफी प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं, जिससे उन्हें काफी झटका लगा है।
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने खुद को कभी सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन उनकी पार्टी ने उन्हें सीएम पद का दावेदार बताया है। फिर भी उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो हाल ही में स्वर्गीय पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे हैं, जिनकी उपलब्धियां ही उनकी पहचान हैं।