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बूढ़े पिता ने कांपते हाथों से जलाई शहीद बेटे की चिता, 6 महीने पहले इसी बापू ने बनाया था उसे दूल्हा
छपरा (बिहार). एक बूढ़े बाप के कंधे पर जवान बेटे की अर्थी उठे, इससे बड़ा दुख क्या होगा। सोचो वह यह बोझ कैसे उठाता होगा। ऐसी एक मार्मिक कहानी बिहार के छपरा जिले से सामने आई है, जब BSF शहीद जवान राहुल सिंह की अंतिम यात्रा निकाली गई। एक तरफ जहां 'जब तक सूरज-चांद रहेगा, राहुल तेरा नाम रहेगा' वहीं दूसरी तरफ बूढ़ा बाप अपने बेटे की अर्थी को कंधे पर रख रोए चला जा रहा था। यह दुखद मंजर जिसने भी देखा उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। दुखी मन से सब यही कहे जा रहे थे कि भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाए।
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दरअसल, सोमवार सुबह BSF जवान राहुल कुमार सिंह (30) की सैन्य सम्मान के साथ एकमा के मांझी में सरयू नदी के डुमाईगढ़ घाट अंतिम यात्रा निकली गई। जिसमें भोला भैया अमर रहें, शहीद जवान अमर रहे, राहुल अमर रहे, जय हिंद, भारत माता की जय, वंदे मातरम...के नारे लगाए जा रहे थे। जिसके बाद बूढ़े पिता भृगुनाथ सिंह ने कांपते हाथों से अपने बड़े बेटे राहुल की चिता को मुखाग्नि दी। जहां जवान का पार्थिव शरीर पंचत्व में विलीन हो गया।
रविवार को जब राहुल कुमार का शव उनके गांव एकमा के आमडाढ़ी पहुंचा तो पूरे इलाके में मातम छा गया। ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। शव जब जवान की घर की चौखट पर पहुंचा तो परिजनों में चीख-पुकार मच गया। वहीं दिन भर नेताओं-जनप्रतिनिधियों का आना-जाना लगा रहा। जिसमें जवान को श्रद्धांजलि देने सांसद जनार्दन सिंह समेत कई नेता पहुंचे।
जब राहुल की अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी तो उसमें BSF के वरिष्ठ अधिकारियों व जवानों के अलावा बिहार पुलिस के जवान भी मौजूद थे। जहां जवान को सम्मान के साथ 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया। जवान राहुल उर्फ भोला अपने माता-पिता की बडी़ संतान था। उसके तीन छोटे भाई और हैं। वहीं चार बहनें हैं, जिसमें से तीन की शादी हो चुकी है और एक बहन अभी कुंआरी है। राहुल अपने घर के इकलौते कमाने वाले थे। उनके तीनों भाई अभी बेरोजगार हैं। बूढ़े पिता भृगुनाथ सिंह बार बार यही कहते हुए बिलख रहे हैं कि उनका बुढ़ापे का सहारा छिन गया। उसकी ही मदद से पूरे परिवार का भरण-पोषण हो रहा था। वह मेरे घर का एक मात्र कमाने वाला सपूत था जो अब चला गया।
बता दें कि जवान राहुल कुमार की 30 जून को कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में मांझी थाना क्षेत्र के विनोद सिंह की बेटी रागिनी के साथ शादी हुई थी। जवान के पिता विवाह के समय बेहद खुश थे, क्योंकि उनके घर में बड़े बेटे की यह पहली शादी थी। लेकिन विधि का विधान तो देखो जिन हाथों से बेटे को दूल्हा बनाया था, अब उन्हीं हाथों से उसकी चिता जलाई।
BSF के अफसरों ने बताया कि राहुल भारत-बांग्लादेश सीमा पर किशनगंज में तैनात था। 14 दिसंबर को अज्ञात कारणों से राहुल को गोली लग गई थी। जिसकी वजह से वह बेसुध हो गया। उसे इलाज के लिए कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान बीचे शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। BSF अधिकारी चितरंजन राय ने कहा कि राहुल कुमार सिंह की गोली लगने की विभागीय जांच हो रही है। जल्द ही सच्चाई का पता लग जाएगा।