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राजनीति में सादगी की मिसाल: 3 बार बने बिहार का CM, आज भी मेहनत-मजदूरी करके पेट भरते हैं घरवाले
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भोला पासवान शास्त्री का जन्म 21 सितंबर 1914 को पूर्णियां के बैरगच्छी में हुआ था। वे एक बेहद ईमानदार और देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे। बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल करने के बाद वह राजनीति में सक्रिय थे। (फाइल फोटो)
भोला पासवान शास्त्री महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय हुए थे। बहुत ही गरीब परिवार से आने के बावजूद वह बौद्धिक रूप से काफी सशक्त थे। (फाइल फोटो)
कांग्रेस पार्टी ने उन्हें तीन बार अपना नेता चुना और वह तीन बार सीएम बने। वे फरवरी 1968 से जून 1968, जून 1969 से जुलाई 1969 और जून 1971 से जनवरी 1972 तक बिहार के सीएम बने थे। (फाइल फोटो)
भोला पासवान शास्त्री का कार्यकाल निर्विवाद था। उनका राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन साफ-सुधरा था। इंदिरा गांधी ने उन्हें तीन बार बिहार का मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री भी बनाया था। लेकिन, इनकी ईमानदारी ऐसी थी कि मृत्यु के उपरांत इनके खाते में इतने पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्ध कर्म भी करवाया जा सके। (फाइल फोटो)
भोला पासवान शास्त्री का 1984 में पटना में निधन हुआ था। पुत्र न होने के कारण उनका अंतिम संस्कार भतीजे बिरंची पासवान ने किया था। कहा जाता है कि उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी। विवाहित जरूर थे, मगर पत्नी से अलग हो गई थीं। (फाइल फोटो)
भोला पासवान शास्त्री मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए भी पेड़ के नीचे ही अपना कार्यकाल बिता रहे थे। जमीन पर कंबल बिछाकर बैठने में संकोच नहीं करते थे और वहीं पर अधिकारियों से मीटिंग कर मामलों का निपटारा भी कर दिया करते थे। (फाइल फोटो)
सरकार की ओर से भोला पासवान शास्त्री के घरवालों को इंदिरा आवास मिला है। हालांकि उन्होंने कभी कुछ मांगा नहीं। लेकिन, इधर लॉकडाउन में परिवार भूखमरी के कगार पर आ गया। पूर्व सीएम के घरवालों के घर वालों के इस हालत की जानकारी होने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने उनके परिवार वालों से बातचीत की थी और एक लाख रुपये की मदद की थी। (फाइल फोटो)
हर वर्ष 21 सितंबर को भोला पासवान शास्त्री की जयंती पर जिला प्रशासन की तरफ से पूर्णिया के बैरगाछी में समाराहों आयोजित किया जाता है, जिसमें जिला पदाधिकारी के अलावा स्थानीय विधायक और अन्य जान प्रतिनिधि मुख्य रूप से शामिल होते हैं। (फाइल फोटो)