पैरोल पर बाहर आ सकता है शहाबुद्दीन, खुद को मानता था सरकार, कुछ ऐसा था लोगों में खौफ
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शहाबुद्दीन कम्युनिस्ट और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ खूनी मार-पीट के बाद सुर्खियों में आया था। पहली बार 1986 में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। आज की तारीख में पुलिस रजिस्टर में शहाबुद्दीन एक ऐसे अपराधी के रूप में दर्ज है, जिसे लेकर मान लिया गया है कि वो कभी नहीं सुधर सकता।
(फाइल फोटो)
शहाबुद्दीन राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के करीबी होने के कारण चार बार सांसद दो और बार विधायक बना। बताते हैं कि वह लालू की कृपा से 1996 में वह केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनने वाला था। मगर, एक पुराना केस खुलने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
(फाइल फोटो)
सीवान में शहाबुद्दीन का खौफ किस तरह था का अंदाजा सिर्फ इस बात से भी लगा सकते हैं कि लोग अपने लिए भी खर्च करने से भी बचते थे। घरों में सभी लोग नौकरी नहीं करते थे। व्यापारी नई गाड़ियां नहीं खरीदते थे। क्योंकि, संपन्नता दिखने पर उन्हें "टैक्स" के रूप में उसे रंगदारी देनी पड़ सकती थी। मना करने पर जान तक जा सकती थी।
(फाइल फोटो)
नीतीश राज में शहाबुद्दीन जेल गया तो लोगों को थोड़ी राहत मिली। लालू के इस करीबी पर चुनाव लड़ने पर निर्वाचन आयोग ने 2009 में रोक लगा दिया। ऐसे में उसने सीवान से अपनी जगह पत्नी हीना शहाब को कई बार चुनाव जिताने की कोशिश की। मगर, अब तक हर बार नाकाम रहा।
(फाइल फोटो)
शहाबुद्दीन पर लालू परिवार की कृपा का रहस्य आजतक लोग नहीं समझ पाए हैं। ये सोचने की बात है कि आलोचनाओं के बढ़ने पर समय के साथ लालू ने अपने बाहुबली सालों साधु और सुभाष से किनारा कर लिया। लेकिन, सीवान और पूरे बिहार का सबसे दुर्दांत अपराधी उनका और उनकी पार्टी का खास बना रहा। इस समय उसकी पत्नी राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं।
(फाइल फोटो)
बता दें कि पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन के पिता शेख मोहमद हसीबुल्लाह का 90 वर्ष की उम्र में शनिवार की रात निधन हो गया था। वो पिछले कई दिनों से शेख हसीबुल्लाह बीमार चल रहे थे। उनके निधन की जानकारी मिलते ही लोग शहाबुद्दीन के पैतृतक गांव प्रतापपुर पहुंच गए।
(फाइल फोटो)