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सुशील कुमार ने KBC में 5 करोड़ जीत बिहार का सिर किया था ऊंचा, आजकल गली-गली घूम करते हैं ये काम
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केबीसी जीतने के बाद उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया था। हालांकि, कुछ महीनों बाद मीडिया में खबरें आई थीं कि उनके रुपए खत्म हो गए हैं और उनके पास कोई जॉब नहीं है। हालांकि इसपर सुशील ने बताया कि एक बार एक जर्नलिस्ट का फोन आया था। उन्होंने सवाल किया कि क्या शो में जीते हुए पैसों का क्या हुआ? जिसपर मैं बताना नहीं चाहता था, सो मजाक में बोल दिया कि पैसे खत्म हो गए और उसके बाद मीडिया के लिए यह खबर बन गई।
शो जीतने के बाद इनकम टैक्स काटकर सुशील के खाते में कुल 3.6 करोड़ रुपए ही आए थे। इस रकम में से उन्होंने कुछ पैसा पुश्तैनी मकान को ठीक कराने में लगा दिया और कुछ से अपने भाइयों के लिए बिजनेस शुरू करवाया। बाकी बचे पैसे उन्होंने बैंक में जमा करा दिए थे, जिसके ब्याज से उनके परिवार का खर्च चलता रहा और अब उनके पास करीब दो करोड़ रुपए हैं।
सुशील कुमार कहते हैं कि चंपारण का असली नाम चंपकारण्य है। यह नाम इसलिए कि यहां पर पहले वन में चंपा के पेड़ बहुत ज्यादा हुआ करते थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चंपारण का वासी होने के बाद भी मैंने दो-तीन साल तक यहां चंपा का कोई पेड़ नहीं देखा था। इसलिए पौध रोपण का संकल्प लिया।
22 अप्रैल 2019 को विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर सुशील ने पौधरोपण का अभियान शुरू किया था। इसमें सफलता मिलने के बाद वो कहते कि आज चंपारण में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां चंपा का पौधा ना हो।
सुशील कुमार अब पीपल और बरगद के पेड़ को बचाने के लिए अभियान शुरू किए हैं। जिसे लोगों का पूरा सहयोग मिला।
सुशील के साथ इस अभियान में फिलहाल काफी सारे लोग जुड़ चुके हैं। उनकी एक टीम इसको लेकर अगल-अलग इलाकों में काम करती हैं। वो पौधे लगाते हैं। फिर उसका विवरण रजिस्टर में लिख लेते हैं।
पौधारोपण के बाद वह हर महीने पौधे की हाजिरी भी लेते हैं, ताकि यह पता चल जाए कि उन्होंने जो भी पौधा लगाया है वो कहीं सूख तो नहीं गया। अगर सूख भी गया या किसी पशु ने खा लिया तो उसके बदले नया पौधा लगाया जाता है।