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पिता लालू से मिलकर ज्यादा एक्टिव हो गए हैं तेजप्रताप यादव, RJD के लिए फायदेमंद या सिरदर्द?
पटना। बिहार में ये पहला विधानसभा चुनाव होगा जिसमें पार्टी को लालू यादव के बिना ही मैदान में उतरना है। ऐसे वक्त में पार्टी का पूरा दारोमदार उनके बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप के कंधों पर है। तेजस्वी, लालू के बाद पार्टी और गठबंधन का चेहरा भी हैं। लेकिन कई बार पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर तेजप्रताप उन्हें चुनौती भी देते नजर आए हैं। दोनों भाइयों के बीच कथित वर्चस्व की खबरें आ चुकी हैं। राजनीतिक जानकारों का एक तबका तेजस्वी के मुक़ाबले तेजप्रताप को कम गंभीर भी आंकता है।
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तेजप्रताप के बयान, उनकी गतिविधियां कई बार पार्टी के लिए सिरदर्द बन चुकी हैं। हाल ही में पार्टी के सीनियर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह मामले में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था। एक तरफ लालू, इस्तीफा दे चुके रघुवंश को मनाने की कोशिश कर रहे थे, तेजस्वी भी दिल्ली पहुंचकर रघुवंश से मिल रहे थे। दूसरी तरफ तेजप्रताप उनकी तुलना लोटे के पानी से कर दी। उन्होंने कह दिया कि समुद्र (आरजेडी) से एक लोटा पानी (रघुवंश) चले जाने से समुद्र को कोई नुकसान नहीं होता है।
कहा गया कि इस बयान के बाद काफी नाराज हुए लालू ने रांची बुलाकर तेजप्रताप की क्लास ली है। हालांकि वहां से लौटने के बाद तेजप्रताप की राजनीतिक सक्रियता काफी बढ़ गई है। लोकल रिपोर्ट्स की मानें तो तेजप्रताप पार्टी के ऑफिस में टिकट के दावेदारों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
तेजप्रताप ने दावेदारों को साफ कह दिया है पार्टी सर्वे करा रही है और केंद्रीय टीम टिकट बंटवारे पर अंतिम फैसला लेगी। पार्टी ऑफिस में तेजप्रताप ने आरजेडी की स्टूडेंट विंग के काम की भी निगरानी की। चुनाव से पहले तेजप्रताप का पार्टी कार्यालय पहुंचना बड़ी घटना माना जा रहा है।
दरअसल, तेजप्रताप पिछले तीन साल से कार्यालय नहीं आए थे और अब अचानक वहां मीटिंग कर रहे हैं। यह चर्चा है कि तेजप्रताप अपने दावेदारों को भी टिकट दिलाना चाहते हैं। पहले भी वो कथित तौर पर अपने लोगों को प्रमोट करने के लिए दबाव बना चुके हैं। सार्वजनिक तौर पर ये बातें सामने भी आई हैं।
हालांकि उन्होंने तेजस्वी से वर्चस्व की बातों को हमेशा ही खारिज किया है और खुद को उनका सिपाही बताया है। तेजप्रताप, तेजस्वी से बड़े हैं। लालू से मिलकर लौटने के बाद भी तेजप्रताप ने घर के सभी सदस्यों को अपने आवास पर बुलाकर उनके साथ वक्त बिताया।
देखना ये है कि लालू से मिलने के बाद तेजप्रताप के सक्रियता और बयान पार्टी की स्ट्रेटजी को फायदा पहुंचाते हैं या नुकसान।