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15 साल की लड़की ने दिखाई ऐसी बहादुरी,पूरी दुनिया ने किया सलाम,जानिए रिक्शा चालक की बेटी कैसे बन गई सेलिब्रिटी
पटना (Bihar) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीतने वाले देश के 32 बच्चों से बात की। इनमें टॉप थ्री बच्चों को बहादुर का पुरस्कार दिया, जिनमें बिहार की 15 साल की बेटी ज्योति पासवान भी शामिल हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उन्हें बहादुरी का सम्मान दिया। बता दें कि लॉकडाउन में साइकिल गर्ल के नाम से फेमस हुई ज्योति के संघर्ष को अमेरिकी प्रिसिंडेंट रहे डोनाल्ड ड्रप की बेटी इवाका ने भी सलाम किया था। साथ ही इसके लिए उन्होंने ट्टीट किया था। जिसके बाद वो सेलिब्रिटी सी बन गई। ऐसे में आज हम आपको ज्योति के संघर्ष की पूरी कहानी बता रहे हैं।
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दरभंगा जिले के सिंघवारा ब्लाक के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान गुरुग्राम में ई-रिक्शा चलाते थे। ई रिक्शा उनका खुद का नहीं बल्कि किराए पर था और वहां झोपड़ी में रहते थे। लॉकडाउन से कुछ महीने पहले उनका एक्सिडेंट हो गया था। जिससे उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी। इसी दौरान कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन कर दिया गया था। इससे उनका काम ठप हो गया था और खाने के लाले पड़ने लगे थे।
बेटी ज्योति पासवान से पिता की ये मजबूरी देखी नहीं जा रही थी। उसने बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर 7 दिनों तक 1200 किमी की यात्रा तय कर उन्हें अपने गांव सिरहुल्ली लेकर लाई। जिसके बाद वो मीडिया के माध्यम से भारत ही नहीं अमेरिका तक अपनी पहचान बना ली।
बता दें कि ज्योति की ही बदौलत झोपड़ी में रहने वाला मोहन पासवान का परिवार अब तीन मंजिला मकान में रहता है। इसमें चार कमरे हैं, जो तीन महीने में ही बनकर तैयार हुआ है। हालांकि अभी इस पर रंग-रोगन नहीं हुआ है। इतना ही नहीं अब ज्योति के पास खुद की आठ साइकिलें हैं, जो एक से बढ़कर एक हैं।
बताते हैं कि ज्योति ने अपनी बुआ की शादी का खर्च भी उठाया है। अब ज्योति की जिंदगी बिल्कुल अलग हो गई है। आज वो दुबली-पतली लड़की एक सेलिब्रिटी सी बन गई है। लोग उन्हें 'साइकिल गर्ल' कहते हैं। यहां तक की उसके संघर्ष पर आधारित फिल्म बन रही है, जिसमें वह खुद लीड रोल कर रही है।
ज्योति बताती है कि, रास्ते में कई ट्रक वाले थे, जो लोगों को ले जा रहे थे, हमने जब मदद मांगी तो उन्होंने 6000 रुपए की मांग किए थे। लेकिन, हमारे पास इतने पैसे नहीं थे। इसलिए हम साइकिल से ही 10 मई को गुरूग्राम से चल पड़े थे और 16 मई की शाम घर आ गए थे।
ज्योति के पिता मोहन पासवान ने बताते हैं कि आज बेटी की वजह से उन्हें सब लोग जानने लगे। हम इतनी गरीबी में जी रहे थे, मगर बेटी की वजह से लोग हमारी मदद के लिए आगे आए। बेटी अभी बोर्ड की परीक्षा देगी। उसे और आगे पढ़ाऊंगा।