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कॉलेज का टीचर जिसने राजनीति में खूब किया संघर्ष, लालू के सबसे करीबी रघुवंश की कहानी है दिलचस्प

पटना (Bihar) । गणित के नामी प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद आरजेडी के उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं, जिनपर कभी भी भ्रष्टाचार या गुंडागर्दी के आरोप नहीं लगे। वो लालू प्रसाद यादव के सबसे करीबी नेता थे और ज्यादातर मौकों पर दिल्ली की राजनीति में आरजेडी का प्रतिनिधित्व करते थे। लेकिन, नाराज होकर पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने उन्हें अपनी पार्टी में आने का न्योता भी दे चुके हैं। दूसरी ओर राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि रघुवंश प्रसाद ऐसे नेता हैं, जो कभी भूजा खाकर रात बिताए थे और अपनी ईमानदारी के चलते केंद्र सरकार में मंत्री भी बनें। बता दें वह जब यूपीए की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बने तब उन्होंने ही महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की शुरुआत की। यह एक ऐसी योजना है, जिसकी तारीफ आज तक होती है।

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Asianet News Hindi
Published : Aug 26 2020, 05:46 PM IST| Updated : Sep 13 2020, 02:00 PM IST
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अहमदाबाद के एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने दिसंबर 1973 में मेस का बढ़ा हुआ बिल देने से मना कर दिया, जो आंदोलन का रूप ले ली। पूरे देश में छात्र आंदोलन शुरू हो गए। बिहार के सीतामढ़ी में छात्रों के आंदोलन को धार देने का काम गोयनका कॉलेज में गणित पढ़ाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह कर रहे थे, जो संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जिला सचिव भी थे। (फाइल फोटो)

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1974 में एक समय ऐसा भी था, जब गणित के प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को छात्र आंदोलन में पुलिस गिरफ्तार कर लिया। तीन माह बाद जेल से बाहर आए तो मकान मालिक सीताराम सिंह ने घर खाली करने के लिए कह दिया। इसके बाद रेलवे लाइन के पास के अपने कमरे को छोड़कर कॉलेज के हॉस्टल आ गए। (फाइल फोटो)
 

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छात्रों के बीच उस समय कुछ किताबें, एक जोड़ी धोती-कुरता और एक गमछे के अलावा संपति के नाम रघुवंश प्रसाद सिंह के पास कुछ नहीं था। रघुवंश प्रसाद के करीबी बताते हैं कि तनख्वाह इतनी भी नहीं थी कि घर पर खर्च भेजने के बाद दोनों समय कायदे से खाना खाया जा सके।  (फाइल फोटो)

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जून 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में रघुवंश प्रसाद सिंह  सीतामढ़ी की बेलसंड सीट से निर्वाचित हुए। उनकी जीत का सिलसिला 1985 तक चलता रहा। 1996 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव के कहने पर वैशाली से लोकसभा चुनाव लड़ गए और जीतने में कामयाब रहे। इस तरह वह पटना से दिल्ली आ गए। (फाइल फोटो)

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केंद्र में जनता दल गठबंधन सत्ता में आई। देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने। रघुवंश बिहार कोटे से केंद्र में राज्य मंत्री बनाए गए। अप्रैल 1997 में देवेगौड़ा को एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी। इंद्र कुमार गुजराल नए प्रधानमंत्री बने और रघुवंश प्रसाद सिंह को खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय में भेज दिया गया।(फाइल फोटो)

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1999 में जब लालू प्रसाद यादव हार गए तो रघुवंश प्रसाद को दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल के संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया गया था।(फाइल फोटो)

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रघुवंश प्रसाद सिंह को 2014 में लगातार वैशाली में पांच जीत के बाद हार का सामना करना पड़ा था। इस समय राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पार्टी सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक रहे डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह इन दिनों नाराज चल रहे हैं।(फाइल फोटो)

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बीते जून में उन्‍होंने पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से अब तक उन्‍हें मनाने की कोशिशें नाकाम नहीं हैं। इस बीच जिस रामा सिंह से अदावत के कारण वे नाराज हैं, उन्‍होंने ही कहा है कि रघुवंश के आरजेडी से जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। 

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