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मुसलमान होने के बाद भी मोहल्ले में इस तरह बना रखी थी Irrfan Khan ने अपनी पहचान, एक आदत से परेशान थे पिता
मुंबई. बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर इरफान खान (irrfan khan) की आज 54वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 7 जनवरी, 1967 को टोंक में हुआ था। इरफान खान का असली नाम साहाबजादे इरफान अली खान है। लेकिन उन्हें अपना इतना लंबा नाम पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने नाम छोटा कर दिया और इरफान खान रख लिया। वैसे तो इरफान अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी अदाकारी के चर्चे आज भी कम नहीं है। वे एक ऐसे स्टार थे जो अपने किरदार को पूरी तरह से जीते थे। पिता की बर्थ एनिवर्सरी पर उनके बेटे बाबिल ने बेहद भावुक संदेश लिखा है और एक पुराना वीडियो शेयर किया है। वीडियो शेयर करते हुए बाबिल ने लिखा- आप कभी जन्मदिन या फिर शादी जैसी चीजों के सेलिब्रेशन को बहुत महत्व नहीं देते थे। इसीलिए मैं कभी किसी का जन्मदिन याद नहीं रखता क्योंकि आपने कभी मेरा जन्मदिन याद नहीं रखा या न ही मुझे प्रोत्साहित किया कि मैं आपके बर्थडे को याद रखूं।
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बाबिल ने आगे लिखा- हमारे लिए जन्मदिन भी हर दिन की तरह ही एक सामान्य दिन हुआ करता था। हम हर दिन को ही सेलिब्रेट करते थे। इस मौके पर मां हम दोनों को ही याद दिलाती थी लेकिन आज मैं आपको जन्मदिन को कोशिश करके भी भूल नहीं पा रहा। आज आपका बर्थडे है बाबा। बाबिल ने जो वीडियो शेयर किया है, उसमें इरफान अपनी पत्नी सुतापा सिकदर और छोटे बेटे अयान के साथ नजर आ रहे हैं।
इरफान का जन्म बेशक मुस्लिम परिवार में हुआ हो, लेकिन उनके घरवाले और मोहल्ले के लोग उन्हें ब्राह्मण कहकर बुलाते थे। इसके पीछे की वजह भी खास थीं।
दरअसल, उनको नॉन वेजिटेरियन खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। ऐसे में उनके पिता उनसे काफी दुखी रहते है। वो इरफान की इन्हीं आदतों से परेशान थे कि वो नॉन वेजिटेरियन खाने को देखकर ही दूर भाग जाता थे।
इरफान ने एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1984 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) आ गए थे। इरफान को सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि क्रिकेट का भी शौक था। क्रिकेट के प्रति उनका इतना लगाव था कि वो एक वक्त उभरते हुए खिलाड़ियों की तरह खुद को तराश रहे थे। इरफान का चयन सीके नायडु क्रिकेट ट्रॉफी के लिए भी हुआ था। फिर ऐसा वक्त आया जब पैसों की तंगी के चलते उन्होंने क्रिकेटर बनने के सपने को छोड़ दिया।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत छोटे पर्दे से की थी। उन्होंने कई धारावाहिकों के जरिए खुद को तराशने की कोशिश की। चाणक्य, भारत एक खोज, सारा जहां हमारा, बनेगी अपनी बात, चंद्रकांता और श्रीकांत जैसे सीरियलों से इरफान ने बॉलीवुड और फिर हॉलीवुड तक का सफर तय किया।
इरफान ने डेब्यू फिल्म सलाम बॉम्बे से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। फिल्म की निर्देशक मीरा नायर ने इरफान को कॉलेज की एक वर्कशॉप में देखा था। मीरा ने उन्हें मुंबई में वर्कशॉप अटेंड करने को कहा। 20 साल के इरफान मुंबई पहुंचे और रघुवीर यादव के साथ एक फ्लैट में रहने लगे।
धीरे-धीरे वे सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए। देखते ही देखते वो ऐसे अभिनेता बन गए जिन्होंने अपनी एक्टिंग के दम पर हीरो की परिभाषा को ही बदल डाली। इरफान ने अपने 30 साल के फिल्मी करियर में करीब 50 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया।
कहा जाता है कि एनएचडी से मिलने वाली फैलोशिप के जरिए इरफान ने अपना पूरा कोर्स खत्म किया और उसके बाद उन्होंने अपनी क्लासमेट सूतापा सिकदर से शादी की। वे सुतापा के प्यार में इतने पागल थे उनके लिए अपना धर्म तक बदलने को तैयार थे।
फिल्म हासिल में निगेटिव रोल में नजर आए इरफान को उस साल का बेस्ट विलेन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। उन्होंने लंचबॉक्स, गुंडे, हैदर,'पीकू और हिंदी मीडियम जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया। इरफान खान को फिल्म पान सिंह तोमर के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। 2011 में भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री दिया गया।