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महाभारत का दूसरा नाम है जया, कुछ ऐसे दमदार Dialogues से भरी है कंगना की फिल्म थलाइवी
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कहा जाता है कि 1977 में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामचंद्रन जयललिता को राजनीति में लेकर आए थे, लेकिन खुद जयललिता इस बात से इनकार करती रहीं।
1982 में उन्होंने रामचंद्रन की पार्टी ऑल इंडिया अन्ना ड्रविड़ मुनेत्र कझगम (AIADMK) ज्वाइन कर ली। 1983 में उन्हें प्रचार समिति का सचिव बनाया गया और यही वह साल था जब वे पहली बार तिरुचेंदूर विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं।
जयललिता की धाराप्रवाह अंग्रेजी के कारण रामचंद्रन चाहते थे कि वे राज्यसभा में आएं और 1984 से 1989 तक वो बतौर राज्यसभा सदस्य संसद में अपनी जगह बनाए रहीं।
1989 में जयललिता ने तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष की नेता के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली और 24 जून को वे पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुईं।
साउथ फिल्मों के सुपरस्टार रहे एमजी रामचंद्रन से जयललिता के अफेयर ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। खास बात यह है कि उस वक्त एमजी पहले से शादीशुदा और दो बच्चों के पिता थे। जब रामचंद्रन का निधन हुआ तो जयललिता ने खुद को विधवा की तरह पेश किया था।
जयललिता का नाम दुनिया की सबसे महंगी शादी/रिसेप्शन के लिए गिनीज बुक में दर्ज है। 7 सितंबर, 1995 को उनके दत्तक पुत्र सुधाकरन की शादी चेन्नई में हुई थी। इसके लिए 6 करोड़ रुपए खर्च किए गए और 50 एकड़ में पंडाल बना था। करीब 1.5 लाख मेहमान शामिल हुए थे। सुधाकरन जयललिता के भतीजे हैं, जिसे उन्होंने गोद लिया था।
जयललिता ज्योतिष में विश्वास रखती थीं। इसीलिए उन्होंने अंग्रेजी में अपना नाम Jayalalitha से Jayalalithaa कर लिया था। ज्योतिष के चलते ही वे आमतौर पर साड़ी, पेन और बाकी चीजें हरे रंग की यूज करती थीं। माना जाता है कि ये रंग उनके लिए बहुत लकी रहा।
जयललिता अपने साथ एक खास कुर्सी लेकर चलती थीं। एक बार जब वे नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंची थीं तो एक स्पेशल कुर्सी नॉर्थ ब्लॉक पहुंची। वे अरुण जेटली, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने के दौरान भी इसी स्पेशल कुर्सी पर बैठी नजर आई थीं। इस मुलाकात के बाद कुर्सी वापस तमिलनाडु भवन भेज दी गई थी।