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तांडव ही नहीं इन 15 फिल्मों को लेकर भी जमकर हुआ बवाल, कोई नहीं हुई रिलीज तो किसी को करना पड़ा BAN
मुंबई। हिंदू देवी-देवताओं के अपमान को लेकर विवादों में फंसी वेब सीरिज 'तांडव' (Tandav) को लेकर इन दिनों काफी बवाल मचा हुआ है। कई हिंदूवादी संगठनों और नेताओं का आरोप है कि फिल्म में हिंदू धर्म की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। यहां तक कि मुंबई और लखनऊ में फिल्ममेकर्स और कलाकारों पर केस भी दर्ज हो चुका है। इस फिल्म में शिव के रोल में दिख रहे एक्टर जीशान अयूब गालियां देते नजर आ रहे हैं। विवाद के चलते फिल्म को बैन करने की मांग तेज हो गई है। वैसे, बॉलीवुड के इतिहास में यह पहली बार नहीं है जब किसी फिल्म को बैन करने की मांग जोर पकड़ रही है। पहले भी ऐसा कई बार हुआ जब विवाद को लेकर सेंसर बोर्ड ने या तो उसे बैन किया या फिर विवादित सीन्स पर कैंची चलाई। इस पैकेज में हम बता रहे हैं ऐसी ही फिल्मों के बारे में।
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मोहल्ला अस्सी
सनी देओल और साक्षी तंवर स्टारर इस फिल्म में वाराणसी शहर को तीर्थयात्रियों के व्यवसायीकरण के तौर पर दिखाया गया है। साथ ही एक सीन में भगवान शिव की गलत छवि दिखाई गई है। फिल्म में काफी गालीगलौच भी है। विवादों के चलते यह फिल्म अब तक रिलीज नहीं हो पाई है।
बूम
कैटरीना कैफ और गुलशन ग्रोवर की इस फिल्म में दोनों के बीच एक किसिंग सीन था, जिसे बाद में हटाया गया था। हालांकि इस फिल्म को सॉफ्ट पोर्न कहा गया था, जिसके चलते विवाद हुआ।
पद्मावत
दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की यह फिल्म महरानी पद्मावती के जौहर पर बेस्ड थी। हालांकि कुछ हिंदूवादी संगठनों का आरोप था कि फिल्म में रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच लवमेकिंग सीन फिल्माया गया है। इस फिल्म को लेकर करणी सेना ने राजस्थान समेत कई राज्यों में प्रदर्शन किया था। बाद में फिल्म का नाम पद्मावती से बदलकर पद्मावत करना पड़ा था।
उड़ता पंजाब
शाहिद कपूर की फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर बोर्ड और फिल्ममेकर्स के बीच बड़ा विवाद हुआ था। पंजाब में नशे की समस्या पर बनी इस फिल्म में बोर्ड ने 89 कट सुझाए थे। मामला हाई कोर्ट पहुंचा और अदालत ने इसमें कुछ कट के साथ इसे रिलीज करने की अनुमति दी थी।
लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
प्रकाश झा की फिल्म लिपिस्टक अंडर माय बुर्का को सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था। बोर्ड ने कहा था कि यह एक महिला प्रधान फिल्म है, जो रियल लाइफ से अलग है। बोर्ड ने कहा था कि इसमें विवादास्पद सेक्स सीन, अपमानजनक शब्द और ऑडियो पोर्नोग्राफी है, जो समाज के लिए ठीक नहीं है।
परजानिया
गुजरात दंगों पर बेस्ड इस फिल्म को गुजरात में नहीं दिखाया जा रहा था। लेकिन एक सामाजिक संस्था की मुहिम के बाद इस संवेदनशील फिल्म को गुजरात के कुछ हिस्सों में दिखाया गया। हालांकि इसका जमकर विरोध हुआ था।
हैदर
कश्मीर के बैकग्राउंड पर बनी इस फिल्म में इंडियन आर्मी की भूमिका पर सवाल उठाए गए। एक बड़ा गुट इसका विरोध करता रहा साथ ही फिल्म के बायकॉट का आह्वान भी किया गया। फिल्म में शाहिद कपूर, तब्बू, श्रद्धा कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे।
आरक्षण
जातिगत आरक्षण को दिखाती इस फिल्म पर उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में बैन लगा दिया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस बैन को हटाया गया। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण ने काम किया है।
वाटर
दीपा मेहता की फिल्म वाटर में आश्रम में रहने वाली विधवाओं की जिंदगी को दिखाया गया है। फिल्म को हिंदू समाज की मान्यताओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया गया और इसके पोस्टरों को भी जलाया गया था।
फायर
शबाना आजमी और नंदिता दास की इस फिल्म में लेस्बियन थीम को दिखाया गया था। महाराष्ट्र में शिव सेना और बजरंग दल जैसे कई राजनीतिक गुटों ने इस फिल्म की थीम का विरोध किया था।
फिराक
नंदिता दास की यह फिल्म साल 2002 के गुजरात दंगों पर बेस्ड थी। फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई अवॉर्ड और सम्मान मिले। लेकिन इस फिल्म पर गुजरात में प्रतिबंध रहा और उसे यहां रिलीज नहीं किया गया।
इंसाफ का तराजू
बीआर चोपड़ा के डायरेक्शन और राज बब्बर की एक्टिंग से सजी फिल्म इंजाफ का तराजू भी विवादों में रही। फिल्म में 13 साल की बच्ची के साथ रेप सीन दिखाया गया था, जिसका जमकर विरोध किया गया था।
बैंडिट क्वीन
डाकू से राजनेता बनी फूलन देवी की लाइफ पर बेस्ड इस फिल्म को शेखर कपूर ने बनाया। फिल्म में फूलन देवी का किरदार निभाने वाली सीमा बिस्वास के साथ कई बोल्ड सीन्स फिल्माए गए थे। दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके प्रसारण पर कुछ दिनों के लिए पाबंदी लगा दी थी।
आंधी
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन की इस फिल्म पर देश में इमरजेंसी (आपातकाल) के दौरान रोक लगा दी गई थी। फिल्म में सत्तारूढ़ लोगों के रसूख को दिखाया गया है। इंदिरा गांधी सरकार द्वारा इमरजेंसी के दौरान लगाए गए इस बैन के दो साल बाद फिल्म 1977 में रिलीज हो पाई थी।
ब्लैक फ्राइडे
1993 के मुंबई बम धमाकों पर बेस्ड इस फिल्म की रिलीज पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंडर ट्रायल को लेकर दाखिल लॉ सूट पर सुनवाई तक रोक लगा दी थी। ऐसा कहा गया कि फिल्म का प्रदर्शन न्यायिक जांच और निर्णय को प्रभावित कर सकता है। यह फिल्म 28 जनवरी 2005 को रिलीज होनी थी। प्रोड्यूसर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली, जिसके बाद फिल्म 9 फरवरी 2007 को रिलीज हो पाई थी।
किस्सा कुर्सी का
यह एक पॉलिटिकल सटायर मूवी थी, जिस पर उस दौर की कांग्रेस सरकार ने इमरजेंसी का हवाला देकर रोक लगाई थी। संजय गांधी के समर्थकों ने सेंसर बोर्ड से इस फिल्म की मास्टरकॉपी ले ली थी और उसे जला दिया था। बाद में इस फिल्म को दोबारा बनाया गया था। फिल्म में शबाना आजमी, उत्पल दत्त जैसे कलाकार थे।