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इस एक्टर को फीस के रूप में मिला था फ्रिज, 4 साल की उम्र में इनको मीना कुमारी ने सिखाई थी उर्दू
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पहली ही फिल्म के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड
सचिन ने बचपन में ही अपने अभियन का लोहा मनवा दिया था। अपनी पहली फिल्म 'हा मजा मार्ग एकला' में उन्होंने बतौर बाल कलाकार काम किया था। इसके लिए 1963 में उन्हें देश के दूसरे और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। 65 से ज्यादा फिल्मों में बतौर बाल कलाकार काम करने वाले सचिन 50 से ज्यादा फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं। वे सिर्फ एक्टर और निर्देशक ही नहीं बल्कि निर्माता और सिंगर भी हैं।
गुरु दत्त के साथ काम करने की अधूरी रह गई ख्वाहिश
एक इंटरव्यू में सचिन ने बताया था कि उन्होंने 7 साल की उम्र में गुरु दत्त की फिल्म 'कागज़ के फूल' देखी थी। फिल्म देखकर उन्होंने तय कर लिया कि बड़े होकर डायरेक्टर बनेंगे। इस फैसले के दो साल बाद गुरु दत्त के ऑफिस से सचिन को फोन आया। सचिन अपने पिता के साथ गुरु दत्त से मिलने पहुंचे। गुरु दत्त ने उन्हें बताया कि वो 'ऑलिवर ट्विस्ट' को हिंदी में बनाने जा रहे हैं। वो चाहते हैं कि उनकी फिल्म में ऑलिवर का रोल सचिन करें। चूंकि उस वक्त सचिन की उम्र 9 साल थी और 'ऑलिवर' का पात्र 11 साल का तो गुरु दत्त ने कहा कि वे सचिन के लिए दो साल इंतजार करेंगे। हालांकि, 1964 में गुरु दत्त का निधन हो गया। वादे के अनुसार जब सचिन 11 साल के हुए तब उन्हें गुरु दत्त के छोटे भाई आत्मा राम पादुकोण ने 'ऑलिवर ट्विस्ट' के हिंदी वर्ज़न की स्क्रिप्ट दी। स्क्रिप्ट के पहले पन्ने पर गुरु दत्त की हैंडराइटिंग में लिखा था- 'सचिन के साथ बनाने के लिए जब वो 11 का होगा'।
मीना कुमारी से सीखी उर्दू
कहा जाता है कि सचिन को खुद महान अदाकारा मीना कुमारी ने उर्दू पढ़ाई थी। वे मीना कुमारी से उर्दू सीखने के लिए उनके घर जाते थे।
'शोले' के लिए बतौर फीस मिला था फ्रिज
1971 में आई 'कृष्ण लीला' में श्रीकृष्ण का किरदार निभाने के बाद सचिन को 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'शोले' में बहुत ही छोटा, लेकिन दमदार रोल मिला। इस फिल्म में उन्होंने न सिर्फ एक्टिंग की बल्कि फिल्म में गब्बर का रोल प्ले करने वाले एक्टर अमजद खान के साथ एक एक्शन सीक्वेंस भी शूट किया। बताया जाता है कि इस फिल्म में अहमद का रोल करने के लिए सचिन को फीस के तौर पर एक फ्रिज दिया गया था।
अमजद खान संग मिलकर शूट किया था एक्शन सीक्वेंस
फिल्म 'शोले' की शूटिंग के दौरान सचिन की उम्र मात्र 17 वर्ष थी। फिल्म में उन्होंने अहमद नाम के युवा का किरदार निभाया था। जब फिल्म में उनके हिस्से की शूटिंग पूरी हो गई, तो उन्होंने डायरेक्टर रमेश सिप्पी से उनकी टीम के साथ बैंगलोर में ही रुकने की इजाज़त मांगी। अपना काम खत्म करने के बाद वे रोज सेट पर कैमरे के ठीक पीछे बैठकर फिल्म शूटिंग के प्रोसेस को देखते थे। कुछ दिनों बड़े एक्टर्स को एकोमोडेट करने में व्यस्त सिप्पी ने टेक्निशियन लोगों की एक दूसरी टीम बनाई। इस टीम को कुछ एक्शन सीक्वेंस वगैरह शूट करने की जिम्मेदारी दी गई थी। सिप्पी ने सचिन को इसी टीम का क्रिएटिव हेड बनाया। बाद में सचिन की ही देखरेख में फिल्म 'शोले' का ट्रेन वाला सीक्वेंस शूट किया गया जिसे एक बार में फाइनल कर लिया गया। सचिन के मुताबिक- 'फिल्म के इस सीन में जहां संजीव कुमार ट्रेन में धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन के हाथों में हथकड़ी लगाए ले जा रहे थे। ये हिस्सा केवल रमेश सर ने शूट किया था। इसके बाद पूरा एक्शन सीन मैंने और अमजद खान ने पूरा किया था।'
'नदिया के पार' ने घर-घर पहुंचाया
मुख्य अभिनेता के तौर पर सचिन की पहली फिल्म 'गीत गाता चल थी' जोकि साल 1975 में आई थी। इस फिल्म का प्रोडक्शन राजश्री प्रोडक्शन के किया था। इसके बाद बैनर ने सचिन के साथ दो और शानदार फिल्में 'अंखियों के झरोखे से' और 'नदिया के पार' में काम किया था। इन दोनों फिल्मों ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं। 'नदिया के पार' से तो सचिन घर-घर में मशहूर हो गए। साल 1994 में इसी फिल्म की रीमेक बनी जिसका नाम 'हम आपके हैं कौन' था।
10 साल छोटी सुप्रिया से की शादी
सालों पहले जब सचिन ने सुप्रिया से शादी का फैसला लिया था, तो कई तरह की बातें हुई। तब सचिन 27 साल के थे और सुप्रिया 16 साल की। लोगों ने कहा ये शादी नहीं चल पाएगी, लेकिन आज दोनों की शादी को 37 साल हो चुके हैं। एक बेटी भी है श्रेया पिलगांवकर, जिन्होंने शाहरुख खान की फिल्म 'फैन' से अपना हिंदी फिल्म डेब्यू किया था। वे वेब सीरीज़ 'मिर्ज़ापुर' में स्वीटी के रोल में भी नजर आ चुकी हैं।
बतौर डायरेक्टर मराठी सिनेमा में कमाया नाम
'शोले', 'नदिया के पार' और 'सत्ते पे सत्ता' जैसी सफल फिल्मों में काम करने के बाद सचिन ने फिल्म डायरेक्शन में कदम रखा। 1982 में आई मराठी फिल्म 'माय बाप' डायरेक्टर के तौर पर सचिन की पहली फिल्म थी। आगे सचिन ने 15 से ज़्यादा मराठी फिल्में डायरेक्ट कीं। उनके काम को देखते हुए सुभाष घई ने उन्हें अपनी प्रोडक्शन कंपनी मुक्ता आर्ट्स के तहत हिंदी फिल्म डायरेक्शन डेब्यू करने का मौका दिया। फिल्म का नाम था 'प्रेम दीवाने'। जैकी श्रॉफ, विवेक मुशरान और माधुरी दीक्षित स्टारर यह फिल्म पिट गई। कुछ एक हिंदी फिल्में और बनाने के बाद सचिन वापस मराठी सिनेमा की ओर लौट गए।
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