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आखिरी समय में पाई-पाई के लिए मोहताज़ था बॉलीवुड का यह संगीतकार, 50 रुपए भी जुटाना हो गया था मुश्किल
एंटरटेनमेंट डेस्क. गुज़रे जमाने के मशहूर संगीतकार वनराज भाटिया (Vanraj Bhatia) की आज 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 31 मई 1927 को बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्मे वनराज भाटिया ने लगभग 5 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में संगीत दिया था। उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला था। वे संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड से सम्मानित थे। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा था। लेकिन इतनी बुलंदियां हासिल करने के बाद भी उनका अंत समय आर्थिक तंगी में कटा था। आलम यह था कि उन्हें 50 रुपए भी जुटाना मुश्किल हो गया था। नीचे की स्लाइड्स में जानिए आखिर की आर्थिक तंगी में पहुंच गए थे अनिल कपूर, शाहरुख़ खान और सनी देओल की फिल्मों में संगीत देने वाले वनराज भाटिया...
/ Updated: May 31 2022, 07:30 AM IST
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वनराज भाटिया ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उन्होंने अपना पैसा शेयर मार्केट में लगाया था। लेकिन साल 2000 में मार्केट में गिरावट आई और उनका पूरा पैसा डूब गया। यही वजह थी कि उनके पास कोई बचत नहीं थी और वे आर्थिक तंगी में पहुंच गए थे। ऐसे में उनकी मदद कनाडा में रहने वाली उनकी बहन और अन्य रिश्तेदार कर रहे थे।
2018-19 में वनराज भाटिया के हालात इतने बदतर हो गए थे कि उन्हें गुज़ारे के लिए घर के बर्तन तक बेचने पड़े थे। तब इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी (आईपीआरएस) ने मदद का हाथ बढ़ाया था। लेकिन कहा जाता है कि भाटिया के केयर टेकर सुजीत ने लाखों रुपए का गबन किया, जिसके चलते उनके हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ गए।
सुजीत के बाद भाटिया की देखभाल का जिम्मा गजानन शंकर धनावड़े नाम के शख्स को सौंपा गया। गजानन ने एक बातचीत में दावा किया था कि वनराज इस कदर आर्थिक तंगी में थे कि इश्योरेंस की सालाना किश्त भरने के लिए उनके पास 50 रुपए तक इकट्ठे नहीं हो पा रहे थे। वे अपनी दवाओं और ज़रूरी सामान के लिए जान-पहचान वालों के रहमोकरम पर निर्भर हो गए थे।
आर्थिक तंगी में अपने 93वें जन्मदिन से 25 दिन पहले 6 मई 2021 को दुनिया को अलविदा कह गए वनराज भाटिया की उपलब्धियों की बात करें तो वे लंदन की रॉयल एकेडमी ऑफ म्यूजिक के गोल्ड मैडलिस्ट थे। उन्होंने तकरीबन 7 हजार से ज्यादा जिंगल्स को आवाज़ दी थी। विज्ञापनों में स्कोर म्यूजिक देने वाले वे भारत के पहले इंसान थे।
भाटिया डायरेक्टर श्याम बेनेगल की 9 फिल्मों 'अंकुर', 'भूमिका', 'मंथन', 'जुनून', 'कलयुग', 'मंडी', 'त्रिकाल', 'सूरज का सातवां घोड़ा' और 'सरदारी बेगम' फिल्मों के संगीतकार थे। उनका संगीत 'जाने भी दो यारो', 'तमस' और 'द्रोह काल' जैसी अन्य फिल्मों में भी सुनने को मिला था।
1988 में आई 'तमस' के लिए भाटिया को नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। इसके अगले साल उन्हें संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। 2012 में देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से नवाजे गए।
अनिल कपूर स्टारर 'बेटा', शाहरुख़ खान स्टारर 'चमत्कार', 'परदेस' और ऋषि कपूर, सनी देओल स्टारर 'दामिनी' व 'घातक' जैसी फिल्मों में उनका बैकग्राउंड स्कोर सुनने को मिला।वनराज भाटिया ने कई टीवी सीरियल्स में भी म्यूजिक दिया था। इनमें 'भारत एक खोज' का 'सॉन्ग 'सृष्टि से पहले सत्य नहीं था' शामिल है।