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Budget 2021: जानें टैक्स एग्जेम्प्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट किस तरह है एक-दूसरे से अलग
| Published : Jan 11 2021, 12:42 PM IST / Updated: Jan 26 2021, 01:22 PM IST
Budget 2021: जानें टैक्स एग्जेम्प्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट किस तरह है एक-दूसरे से अलग
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इनकम टैक्स कानून में एक निश्चित सीमा तक कर योग्य आमदनी पर टैक्स से छूट दी जाती है। साथ ही, कुछ ऐसे खर्च, आय और निवेश हैं, जिन पर टैक्स नहीं लगता। इसका मतलब है कि ये टेक्ल एग्जेम्प्शन की कैटेगरी में आते हैं। कुछ खास और रिश्तेदारों से मिले चुनिंदा उपहारों के अलावा 2,50,000 रुपए तक की कर योग्य आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। इसलिए इस रकम को एग्जेम्प्टेड लिमिट भी कहा जाता है। (फाइल फोटो)
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टैक्स रिबेट का मतलब है कि वह टैक्स देनदारी, जिसे सरकार माफ कर देती है। अंतरिम बजट 2019 में टैक्स रिबेट की लिमिट को 2500 से बढ़ाकर 12500 कर दिया गया है। इसका मतलब है कि सरकार 12500 रुपए तक की आयकर देनदारी को माफ कर देती है। इस फैसले से 5 लाख रुपए तक की कर योग्य आय पर फिलहाल कोई टैक्स नहीं देना होता है। इस इनकम लिमिट पर बनने वाला टैक्स रिबेट की कैटेगरी में आ जाता है। इसलिए सरकार इसे माफ कर देती है। (फाइल फोटो)
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टैक्स रिबेट को कभी माइनस नहीं किया जाता है। अगर किसी को कुल 13,000 रुपए का टैक्स देना है तो ऐसा नहीं हो सकता कि उसमें से 12500 रुपए की रिबेट लिमिट घटा दी जाए और बचे हुए 5,000 रुपए को टैक्स के तौर पर जमा कर दिया जाए। अगर टैक्स की राशि 12500 से 1 रुपया भी ज्यादा हो गई, तो 12501 रुपए टैक्स के तौर पर जमा करना होगा। (फाइल फोटो)
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टैक्स डिडक्शन का मतलब है टैक्स को घटाना यानी कर में कटौती। आयकर कानून की अलग-अलग धाराओं के तहत कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा टैक्सपेयर्स को मिलता है। स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन एक तय रकम होती है। इसे कोई भी टैक्सपेयर अपनी ग्रॉस टोटल इनकम से घटा सकता है। फिलहाल, स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50000 रुपए है। (फाइल फोटो)
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कुछ ऐसे निवेश हैं, जिन पर टैक्स डिडक्शन का क्लेम किया जा सकता है। पीपीएफ (PPF), एनपीएस (NPS) जैसी स्कीम में निवेश, लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी (LIC Policy) और होम लोन (Home Loan) लेने पर भी आयकर कानून के कुछ सेक्शन्स के तहत टैक्स डिडक्शन का क्लेम किया जा सकता है। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स रिटर्न में अपने निवेश और खर्चों का खुलासा कर टैक्स देनदारी घटाई जा सकती है। इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। (फाइल फोटो)