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भारतीय बैंकों पर भी पड़ेगा कोरोना का असर, 1.3 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी कर्ज की लागत, NPA में भी इजाफा
नई दिल्ली. कोरोना वायरस के चलते दुनिया के अधिकतर देशों की सरकारों को पूरे देश को लॉकडाउन करना पड़ा है और इसके चलते अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठप हो चुकी है। पहले ही आर्थिक सुस्ती झेल रहे भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ना तय है। सरकार ने फिलहाल 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा की है जो कि 14 अप्रैल तक जारी रहेगा, पर इसके बाद भी अर्थव्यवस्था के तुरंत पटरी पर लौटने के आसार नहीं हैं। देश के बैंको पर भी इसका असर पड़ना तय है। बैंकों के NPA में इस साल 1.9 फीसदी की बढ़ोरी होने का अनुमान है, जबकि कर्ज सागत अनुपात में भी 1.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। S&P रेटिंग्स के अनुसार कोरोना के चलते एशिया - प्रशांत बैंकों की कर्ज लागत 300 अरब डॉलर तक बढ़ सकती है। चीन का एनपीए अनुपात भी लगभग 2 फीसदी तक बढ़ेगा ऋण लागत अनुपात 1 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
| Published : Apr 06 2020, 05:17 PM IST
भारतीय बैंकों पर भी पड़ेगा कोरोना का असर, 1.3 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी कर्ज की लागत, NPA में भी इजाफा
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रेटिंग एजेंसी के क्रेडिट विश्लेषक गेविन गुनिंग ने कहा कि भारत में एनपीए अनुपात लगभग चीन के समान (1.9 प्रतिशत) रह सकता है
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हालांकि भारत में ऋण लागत अनुपात भढ़कर 1.3 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
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भारत में कोरोना आगे और तेजी से फैल सकता है और इसका असर लंबे समय तक रह सकता है।
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कोरोना के चलते भारत में आर्थिक परेशानियां बढ़ेंगी, जिसका अनुमान पहले ही लगाया जा चुका है।
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कोरोना के चलते निवेशक यहां अपना पैसा लगाने से बचेंगे और इससे बैंकों का कर्ज प्रभावित हो सकता है।
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लॉकडाउन के कारण पहले ही देश की अधिकतर दुकानें बंद हो चुकी हैं और सिर्फ जरूरी सामान की दुकानें ही काम कर रही हैं।
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कोरोना के चलते कई फैक्ट्रियां अपना काम रोक चुकी हैं और इससे उनके उत्पादन के अलावा उनको सामान सप्लाई करने वाले लोगों की आय पर भी असर पड़ेगा।
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कोरोना के चलते छोटे व्यापारियों की आय कम होने पर वो भी बैंक की परेशानियां बढ़ाएंगे।
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देश में लंबे समय तक लॉकडाउन रहने पर बड़ी कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है और उनके कर्ज ना चुकाने पर फिर से बैंकों के कंगाल होने की स्थिति बन सकती है।
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भारत में कई ऐसे लोग हैं जो कर्ज लेकर ऑटो रिक्सा से लेकर बस और जीप तक खरीदते हैं और परिवहन में उनका इस्तेमाल करते हैं। कोरोना के चलते इनकी आय पर भी असर पड़ेगा और ये लोग भी बैंक का कर्झ चुकाने में सक्षम नहीं होंगे।