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Loan Moratorium: सरकार जल्द लेगी EMI पर छूट का फैसला, आम लोगों को मिल सकती है राहत
बिजनेस डेस्क। लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चल रही सुनवाई फिर टल गई है। केंद्र सरकार ने इस पर फैसले के लिए कुछ और समय की मांग की है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई 5 अक्टूबर तक टाल दी है। केंद्र सरकार ने सोमवार को कोर्ट से 3 दिन का समय मांगा था। केंद्र सरकार ने कहा था कि अदालत के सामनमे ब्योरा रखने के लिए उले कुछ और वक्त चाहिए। फिलहाल, यह उम्मीद बनी है कि सरकार जल्द ही ही ईएमआई पर छूट देने का फैसला ले सकती है। इससे आम लोगों को राहत मिलेगी।
(फाइल फोटो)
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3 महीने के लिए शुरू किया था मोरेटोरियम
रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन की परिस्थितियों को देखते हुए मार्च में लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) 3 महीने के लिए शुरू किया था। इसे बाद में और 3 महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया। पिछली सुनवाई के दौरान इसे 29 सितंबर और अब 5 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
(फाइल फोटो)
पैनल का गठन
केंद्र ने कोरोनावायरस महामारी के कारण स्थगन अवधि के दौरान स्थगित किस्तों पर बैंकों द्वारा लिए जा रहे ब्याज के मुद्दे पर विचार करने और अनुशंसा के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि के अधीन एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है।
(फाइल फोटो)
2 साल के लिए बढ़ सकता है मोरेटोरियम
केंद्र सरकार हलफनामे में ब्याज पर लगने वाले ब्याज को खत्म करने और अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाए जाने को लेकर अपनी बात रख सकती है। सरकार महर्षि कमेटी की सिफारिशों पर भी फैसला ले सकती है। केंद्र सरकार ने कहा था कि रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के मुताबिक, मोरेटोरियम की अवधि 2 साल तक बढ़ाई जा सकती है।
(फाइल फोटो)
भुगतान पर दबाव नहीं
केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से दलील रखते हुए 10 सितंबर को तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि ब्याज पर छूट नहीं दी जा सकती है, लेकिन भुगतान का दबाव कम किया जा सकता है। मेहता ने कहा था कि बैंकिंग क्षेत्र (Banking Sector) अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं लिया जा सकता।
(फाइल फोटो)
ब्याज माफी का सवाल नहीं
तुषार मेहता ने यह भी कहा कि लोगों ने जो समस्या रखी है, वे सही है। हर सेक्टर की स्थिति पर विचार करना जरूरी है, लेकिन बैंकिंग सेक्टर का भी ख्याल रखना होगा। तुषार मेहता ने कहा कि मोरेटोरियम का मकसद राहत देना था। इसका यह मकसद कभी नहीं था कि ब्याज माफ कर दिया जाएगा।
(फाइल फोटो)
डिफॉल्ट अकाउंट NPA नहीं होगा घोषित
लोन मोरेटोरियम की अवधि खत्म हो गई है। ऐसे में, लोगों के पास बैंकों से EMI चुकाने के लिए मैसेज, फोन कॉल्स और ईमेल आने लगे हैं। इससे लोगों के मन में यह डर बन गया है कि कहीं उनका बैंक लोन अकाउंट (Loan Account) नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) नहीं घोषित कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक सरकार ठोस प्लानिंग नहीं बताती, तब तक लोन डिफॉल्टरों को NPA घोषित नहीं करने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
(फाइल फोटो)
क्या है परेशानी
लॉकडाउन के चलते रिजर्व बैंक ने उन कस्टमर्स को लोन मोरेटोरियम की सुविधा दी थी, जो आमदनी घटने की वजह से समय से ईएमआई नहीं चुका सकते थे। यह सुविधा मार्च से अगस्त तक रही। यह तात्कालिक राहत दी गई थी। इसमें सिर्फ ईएमआई को आगे के लिए टालने का ऑप्शन था। लेकिन ग्राहकों के लिए परेशानी की बात यह है कि जितने दिन के लिए उन्होंने मोरेटोरियम लिया है, उस दौरान ईएमआई पर बनने वाले ब्याज पर आगे बैंक ब्याज लेंगे।
(फाइल फोटो)