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सैलरी से हर महीने कटने वाला पैसा कहां होता है डिपॉजिट, PF से कब तक निकाल सकते हैं रकम, देखें पूरी जानकारी
बिजनेस डेस्क । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) नौकरीपेशा लोगों के लिए कई सारी सुविधाएं देता है। EPFO में जमा रकम एक बेहद सुरक्षित धनराशि है, जो उनके भविष्य की बेहतरी के लिए होती है। हर महीने मिलने वाली सैलरी का एक हिस्सा इसमें डिपॉजिट होता जाता है। कर्मचारियों की बेसिक सैलरी से 12 प्रतिशत हिस्सा मंथली पीएफ खाते में डिपॉजिट होता जाता है। वहीं 12 प्रतिशत हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है। एक तय समय के बाद आप ईपीएस मद में जमा रकम नहीं निकाल सकते हैं, देखें ये पैसा कहां जाता है...
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पासबुक कर सकते हैं डाउनलोड
केंद्र सरकार ने पीएफ अकाउंट का अधिकतम काम ऑनलाइन कर दिया है। पीएफ अकाउंट में किसा मद में कितना पैसा है आप online देख सकते हैं। अपनी पासबुक डाउनलोड भी कर सकते हैं। कर्मचारी को अपना पीएफ पासबुक को समय- समय पर देखते रहना चाहिए। पीएफ पासबुक में कर्मचारी और कंपनी की तरफ से जमा होने वाली रकम की अलग-अलग एंट्री की जाती है। PF account में एंप्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) का भी एक कॉलम होता है। इस मद में जमा राशि ईपीएफओ का ही पार्ट है।
अब अपना प्रोविडेंड फंड बैलेंस जानने के लिए ईपीएफओ (EPFO) ऑफिस का चक्कर काटने की जरूरत नहीं रह गई है। भारत सरकार के ऐप के जरिए इसका पता मिनटों में लगाया जा सकता है। इस ऐप के जरिए इसके अलावा दूसरे भी कई काम किए जा सकते हैं।
कर्मचारी-कंपनी का 12-12 प्रतिशत होता है योगदान
कम्पनी के 12% के योगदान में 3.67% EPF व 8.33% EPS शामिल होता है। कम्पनी द्वारा किए गए कुल योगदान को कर्मचारी पेंशन योजना में 8.33% और कर्मचारी भविष्य निधि के लिए 3.67% के रूप में वितरित किया जाता है। कर्मचारी द्वारा किया गया योगदान पूरी तरह से कर्मचारी के भविष्य निधि में जाता है। इस योगदान के अलावा, EDLI के लिए अतिरिक्त 0.5% कम्पनी द्वारा भुगतान किया जाना है। EDLI और EPF की कुछ प्रशासनिक लागत क्रमशः 1.1% और 0.01% की दर से कंपनी द्वारा वहन की जाती है। इसका मतलब है कि कम्पनी को इस योजना के लिए वेतन का कुल 13.61% योगदान देना होगा। कर्मचारी के लिए योगदान दर सामान्यतः 12% निर्धारित है।
कंपनी की ओर से न्यूनतम 1250 रुपये किए जाते हैं जमा
EPS में कर्मचारी की सैलरी से रकम नहीं काटती बल्कि कंपनी के योगदान का कुछ हिस्सा ईपीएस में जमा होता है। नए नियम के अंतर्गत बेसिक सैलरी को 15,000 रुपये तक निर्धारित कर दिया गया है। इसी नए नियम के मुताबिक सैलरी का 8.33 प्रतिशत हिस्सा ईपीएस में जमा किया जाता है। इसका अर्थ हुआ कि बेसिक सैलरी भले ही 15,000 रुपये से ज्यादा हो, लेकिन EPS में कंपनी की ओर से 1250 रुपये ही जमा किए जाएंगे। ईपीएस का पैसा मासिक पेंशन के लिए डिपॉजिट किया जाता है।
EPS पर नहीं मिलता ब्याज
EPF पर सरकार ब्याज देती है लेकिन EPS मद में जमा रकम पर कोई ब्याज भी नहीं मिलता है। ईपीएस में जमा रकम से रिटायर होने के बाद आपको पेंशन मिलती है। जब कर्मचारी कंपनी बदलता है तो EPF ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन यूएन एख ही होता है। कंपनी बदलने पर ईपीएस का पैसा ईपीएफओ के पास डिपॉजिट रहता है। कंपनी छोड़ने पर ईपीएस का पैसा निकाला भी जा सकता है या दूसरी कंपनी को फॉरवर्ड किया जा सकता है।
10 साल लगातार नौकरी करने पर पेंशन मिलना तय
यदि कोई कर्मचारी एक ही कंपनी में लगातार 10 साल की नौकरी पूरा नहीं कर पाता है तो वह या तो ईपीएस का पैसा विड्रा कर सकता है या स्कीम सर्टिफिकेट ले सकता है। जिस नई कंपनी में कर्मचारी ज्वाइन करता है, वहां कंपनी के माध्यम से स्कीम सर्टिफिकेट को ईपीएएफओ में जमा किया जा सकता है। नौकरी के 10 साल पूरे होने पर ये रकम विड्रा नहीं की जा सकती है। इसके बाद ईपीएफओ से स्कीम सर्टिफिकेट लेने होंगे, इसके लिए ईपीएफओ में फॉर्म 10C भरना होता है।
नई कंपनी ज्वाइन करते समय इस बात का रखें ध्यान
यदि आप प्रायवेट नौकरी कर रहे हैं तो एक संस्थान से नौकरी छोड़ने के बाद नई कंपनी में अपने पीएफ अकाउंट को लेकर जानकारी दे दें, जिससे नई कंपनी आपके पीएफ अकाउंट को सुचारु रुप से आगे राशि हस्तांतरित कर सके। इस बात का खास ध्यान रखें कि पुरानी कंपनी का भविष्य निधि (EPF) खाते को नए खाते में मर्ज कर दें। पिछली कंपनी के सभी ईपीएफ खातों को वर्तमान ईपीएफ अकाउंट में मर्ज करना बेहद जरूरी है। इससे ये भी साबित होता है कि आप लगातार नौकरी कर रहे हैं। बता दें कि ईपीएफ खाते से निकासी 5 साल के बाद टैक्स से मुक्त है।
बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने Account Holders को राहत देते हुए बड़ा ऐलान किया है। ईपीएफओ (EPFO) ने यूएएन (UAN) को आधार से जोड़ने की अवधि 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दी है। नॉर्थ-ईस्ट के संस्थानों और कुछ विशेष वर्ग के प्रतिष्ठानों के लिए EPFO ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) को आधार के साथ 1 सितंबर 2021 तक लिंक किया जाना जरुरी था।
आधार- UAN को लिंक करना बेहद जरुरी
आधार को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) को लिंक करना बेहद जरुरी है। नए नियमों के मुताबिक UAN को आधार से लिंक किए बिना आपकी नियोक्ता कंपनी आपके ईपीएफ खाते में मासिक पीएफ योगदान जमा नहीं कर पाएगी। वहीं इसके बिना ईपीएफ फंड से लोन लेने या निकासी भी नहीं की जा सकेगी।
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