Tax Saving Tips: जानें कोई नया निवेश किए बिना कैसे बचा सकते हैं टैक्स
| Published : Mar 06 2021, 07:11 PM IST / Updated: Mar 06 2021, 07:14 PM IST
Tax Saving Tips: जानें कोई नया निवेश किए बिना कैसे बचा सकते हैं टैक्स
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इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 10(5) के तहत लीव ट्रैवल अलाउंस पर टैक्स में छूट लिया जा सकता है। इसके लिए ट्रैवल के और दूसरे कुछ जरूरी प्रूफ देने होते हैं। इसके तहत 4 कैलेंडर सालों में यह डिडक्शन अधिकतम 2 बार लिया जा सकता है। हालांकि, 2020-21 में ज्यादातर लोग कोरोना महामारी की वजह से डिडक्शन नहीं ले पाएंगे। बता दें कि इसीलिए सरकार ने एलटीसी कैश वाउचर स्कीम निकाली थी। (फाइल फोटो)
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बच्चों की पढ़ाई के लिए मिला कोई अलाउंस, हॉस्टल के खर्च वगैरह पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(14) के तहत टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि, एजुकेशन अलाउंस 1200 रुपए और हॉस्टल खर्च 3600 रुपए सालाना तक ही टैक्स छूट के दायरे में आता है। यह सिर्फ 2 बच्चों के खर्च पर मिलता है। (फाइल फोटो)
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बच्चों की ट्यूशन फीस पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है। इस छूट में कोई सीमा नहीं होती। 1.5 लाख रुपये तक जितनी भी ट्यूशन फीस हो, उतनी राशि पर टैक्स में छूट मिल सकती है। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80E के तहत एजुकेशन लोन पर दिए गए ब्याज पर भी टैक्स में छूट ली जा सकती है। इस डिडक्शन का फायदा जिस साल से ब्याज लगना शुरू होता है, उससे 8 सालों तक लिया जा सकता है। इसमें एक शर्त यह है कि लोन 12वीं पास होने के बाद उच्च शिक्षा के लिए लिया होना चाहिए। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80D के तहत मेडिकल इन्श्योरेंस के प्रीमियम और हेल्थ चेकअप में हुए 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स में छूट मिल ली जा सकती है। अगर कोई 60 साल से ज्यादा उम्र के माता-पिता के लिए मेडिकल इन्श्योरेंस प्रीमियम देता है, तो उसे अतिरिक्त 25 हजार रुपए पर टैक्स में छूट मिलेगी। (फाइल फोटो)
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सीनियर सिटिजन्स के लिए ये टैक्स में डिडक्शन 50 हजार रुपए तक हो सकता है। इसमें सीनियर सिटिजन् का 50 हजार रुपए तक का मेडिकल खर्च शामिल हो सकता है। बता दें कि 5000 रुपए तक का प्रिवेन्टिव हेल्थ चेकअप भी टैक्स फ्री होता है। (फाइल फोटो)
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इनकम टैक्स एक्ट की धारा 110(13A) के तहत हाउस रेंट अलाउंस पर भी टैक्स में छूट मिलती है। इसके तहत कंपनी की ओर से मिले एचआरए या बेसिक सैलरी का 40-50 फीसदी या सैलरी का 10 फीसदी से ज्यादा जितना रेंट दिया गया है, उसमें जो भी कम हो, उतना एचआरए क्लेम किया जा सकता है। (फाइल फोटो)