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PM की इस स्कीम में सिर्फ 2% मामूली ब्याज पर मिलता है लोन, गली-मोहल्ले में खोलें दुकान; जमकर करें कमाई
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50 हजार तक ले सकते हैं लोन
शिशु मुद्रा योजना के तहत अपना कारोबार शुरू करने के लिए 50 हजार रुपए तक का कर्ज लिया जा सकता है। कोरोना संकट के इस दौर में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इस योजना में लोन लेने वालों को सरकार राहत भी दे रही है।
साल भर तक ब्याज में 2 फीसदी की छूट
इस समय यह लोन लेने वाले करीब 3 करोड़ लोग एक साल तक ब्याज दर में 2 फीसदी की छूट का फायदा ले सकते हैं। इस दौरान शिशु मुद्रा लोन लेने वाले लोगों का 15 सौ करोड़ रुपए का ब्याज केंद्र सरकार भरेगी।
कौन ले सकता है यह लोन
इस योजना के तहत सरकार का मकसद उन लोगों की मदद करना है, जो छोटे स्तर पर व्यापार करते हैं। इसलिए इसका लाभ सिर्फ छोटे व्यापारी ही उठा सकते हैं। बड़े कारोबार के लिए इस योजना के तहत लोन नहीं मिल सकता है। मुद्रा योजना के तहत सरकार तीन चरणों में लोन दे रही है। इसे शिशु लोन, किशोर लोन और तरुण लोन योजना में बांटा गया है।
क्या है शिशु मुद्रा लोन योजना
इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति छोटे स्तर का कारोबार करने के लिए बैंक से 50 हजार रुपए तक का लोन ले सकता है। इससे कोई छोटी दुकान खोली जा सकती है या रेहड़ी-पटरी पर कोई कारोबार किया जा सकता है। फिलहाल सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए ब्याज में छूट दी है।
कहां से मिलेगा लोन
शिशु मुद्रा लोन वाणिज्यिक बैंकों, आरआरबी, स्मॉल फाइनेंस बैंक और एनबीएफसी द्वारा दिया जाता हैं। जो लोग इस योजना के तहत लोन लेना चाहते हैं, वे इन संस्थानों में जाकर प्रबंधकों से बात कर सकते हैं। इसके लिए https://www.udyamimitra.in/ पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। इस योजना में बिना गारंटी के लोन मिलता है।
ब्याज की दरें
शिशु मुद्रा लोन में ब्याज की कोई निश्चित दर नहीं है। अलग-अलग बैंक मुद्रा लोन पर अलग-अलग दर से ब्याज वसूल करते हैं। ब्याज का निर्धारण बिजनेस और उससे जुड़े जोखिम के आधार पर तय किया जाता है।आम तौर पर शिशु मुद्रा लोन योजना में 9 से लेकर 12 फीसदी तक सालाना ब्याज देना पड़ता है।
कितने लोगों ने लिया है लाभ
साल 2019-2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मुद्रा योजना के तहत 5,83,65,823 लोगों को 3213,573 करोड़ रुपए के लोन की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसमें 316,099 करोड़ रुपए के लोन लोगों को दिए जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को की थी।