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ITR फाइल करते समय इन गलतियों से बचना है जरूरी, नहीं तो हो सकती है बड़ी परेशानी
बिजनेस डेस्क। कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की डेट कई बार बढ़ाई गई। अब असेसमेंट ईयर 2020-21 के लिए आईटीआर (Income Tax Return) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा दी गई है। ऐसे टैक्सपेयर्स जिनके अकाउंट्स का ऑडिट नहीं हुआ है, उनके लिए यह तारीख 31 जनवरी 2021 है। अपने टैक्स रिटर्न को फाइल करते समय कुछ बातों ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। बहुत से लोग आईटीआर फाइल करने में जल्दबाजी करते हैं। इससे कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिनसे आगे चल कर परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसा होने पर इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) से नोटिस भी मिल सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि ऐसी कौन-सी गलतियां हैं, जिनसे टैक्सपेयर्स को रिटर्न फाइल करते समय बचना चाहिए।
(फाइल फोटो)
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गलत आईटीआर फॉर्म
हर साल इनकम टैक्स विभाग टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए कई टैक्स रिटर्न फॉर्म नोटिफाई करता है। ये फॉर्म उनकी आय, प्रकार और रेजिडेंशियल स्टेटस पर निर्भर करते हैं। वहीं, यह देखा गया है कि बहुत से टैक्सपेयर्स अपना रिटर्न फाइल करते समय गलत आईटीआर फॉर्म को चुन लेते हैं। इससे बचना जरूरी है, नहीं तो नुकसान होगा।
(फाइल फोटो)
क्या होता है फॉर्म में अंतर
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए दो तरह के फॉर्म होते हैं। इन्हें ITR 1 और ITR 2 कहा जाता है। जिन लोगों की सलाना इनकम 50 लाख रुपए से कम है और घर होने के साथ कैपिटन गेन्स से कोई आय नहीं है, वे ITR 1 का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह काफी सिंपल होता है, जिसमें ज्यादा डिटेल्स नहीं देने पड़ते। कई लोग गलती से ITR 2 फाइल कर देते हैं, जिसमें ज्यादा डिटेल्स तो देने पड़ते ही हैं और यह गैरजरूरी भी है।
(फाइल फोटो)
गलत आईटीआर फॉर्म भरने पर मिल सकता है नोटिस
अगर कोई व्यक्ति गलत आईटीआर फॉर्म को चनता है, तो आईटीआर में पूरी जानकारी नहीं होने की संभावना बनी रहती है। इससे इनकम टैक्स विभाग आय कम बताने के लिए नोटिस जारी कर सकता है। इसका जवाब देना जरूरी होता है, नहीं तो कार्रवाई हो सकती है।
(फाइल फोटो)
गलत असेसमेंट ईयर के लिए टैक्स का भुगतान
आईटीआर भरते हुए दूसरी गलती जो ज्यादातर लोग करते हैं, वह है गलत असेसमेंट ईयर के लिए टैक्स का भुगतान कर देना। इससे चल रहे असेसमेंट ईयर के लिए टैक्स का भुगतान करना बाकी रह जाता है, जबकि दूसरे साल के लिए ज्यादा टैक्स का भुगतान हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को टैक्स का भुगतान करते समय सही साल का ध्यान रखना चाहिए।
(फाइल फोटो)
निवेश से हुए इनकम को नहीं बताना
आईटीआर फाइल करते वक्त टैक्सपेयर को अपने सभी निवेशों से हुई आय का विवरण देना चाहिए। इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट से ब्याज की आय और म्यूचुअल फंड की खरीद से आए कैपिटल गेन्स शामिल हैं। लोग सामान्य तौर पर सेविंग्स बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट वगैरह से हुई ब्याज की इनकम को बताना भूल जाते हैं। व्यक्ति को इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड की बिक्री से आने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की भी जानकारी और टैक्स का भुगतान करना होता है। इसी तरह फिक्स्ड और रिकरिंग डिपॉजिट पर ब्याज भी पूरी तरह टैक्सेबल होता है।
(फाइल फोटो)
छूट वाली इनकम का विवरण नहीं देना
इनकम टैक्स नियमों के तहत टैक्सपेयर के लिए अपने सभी इनकम का विवरण देना जरूरी है, चाहे वह छूट वाली हो या नहीं। एक टैक्सपेयर के लिए उसका आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है। इनकम टैक्स कानून के तहत ऐसे कई मामले हैं, जहां टैक्सपेयर को अपने नाबालिग बच्चे या जीवनसाथी की आय को अपनी आय के साथ मिलाने और उसके मुताबिक टैक्स का भुगतान करने की जरूरत पड़ती है।
(फाइल फोटो)