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Corona संकट के बाद चीन से फैक्ट्रियां हटाएंगे कई देश, फायदा उठाने की तैयारी में भारत
बिजनेस डेस्क: दुनिया भर में कोरोना महामारी के बाद कई देशों की आर्थिक हालत बिगड़ सकती है। इस बीच भारत के लिए एक सुकून भरी खबर आ रही है। दरअसल, चीन से दूरी बनाने वाली जापानी कंपनियों को अपने यहां लाने के लिए भारतीय राज्यों में होड़ मच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी में चीन की भूमिका और उसके रवैये से नाराज जापान सरकार ने चीन में काम कर रही अपनी कंपनियों को वहां से शिफ्ट करने के लिए कहा है। इसके लिए जापानी सरकार ने 200 करोड़ डॉलर यानी करीब 15,000 करोड़ रुपये का फंड रखा है।
| Published : Apr 17 2020, 06:31 PM IST / Updated: Apr 17 2020, 06:41 PM IST
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अगर जापानी कंपनियां चीन से बाहर जाकर उत्पादन करती हैं तो इन जापानी कंपनियों को 21.5 करोड़ डॉलर की मदद का प्रस्ताव रखा गया है। भारत के कई राज्यों की नजर इस मदद राशि पर है। इसके साथ ही भारत के लिए भी ये एक अच्छी बात है जापानी कंपनियों को अपने राज्य में लाने में कामयाब होने पर अमेरिका व अन्य देशों की कंपनियां भी उस राज्य में अपनी यूनिट लगाने के लिए प्रेरित हो सकती है।
यही वजह है कि गुजरात सरकार के प्रमुख सचिव (उद्योग) मनोज दास ने जापान के सरकारी और व्यापारिक प्रमुखों को इस संबंध में पत्र भी लिख दिया है। गुजरात सरकार का कहना है कि उनके यहां पहले से कई जापानी कंपनियां काम कर रही हैं और जापानी कंपनियों के लिए अलग से औद्योगिक पार्क भी है।
गुजरात सरकार 30 प्रकार से अधिक क्षेत्रों से जुड़ी यूनिट लगाने पर कई वित्तीय छूट भी दे रही है। राज्य सरकार के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के समाप्त होते ही चीन से बाहर निकलने की इच्छुक जापानी कंपनियों को गुजरात में लाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा।
गुजरात की तरह ही उत्तर प्रदेश सरकार भी जापानी कंपनियों को अपने यहां स्थापित करना चाहती है। हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्योग मंत्री से इन कंपनियों को ध्यान में रखते हुए नीति बनाने के लिए कहा है। इस संबंध में बैठकें भी की गई हैं।
गौरतलब है की इस सप्ताह आयोजित एक बैठक में एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा था कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद चीन से निकलने की इच्छुक जापानी और अमेरिकी कंपनियों को भारत में लाने के प्रयास तेज किए जाएंगे।
कई सारे इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है की किसी भी विदेशी कंपनी को अपने यहां लाने में कामयाबी तभी मिल सकती है जब केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार एकजुट होकर काम करेंगी क्योंकि सिर्फ केंद्र की तरफ से तत्परता दिखाने से काम नहीं बनने वाला है। किसी यूनिट को लगाने के लिए जमीन देने से लेकर स्थानीय स्तर पर उनके लिए रास्ते को आसान बनाने का काम राज्य सरकार का होता है।
बता दें की कोरोना वायरस महामारी से जंग तथा खपत में कमी की वजह से चीन की अर्थयव्यवस्था को पहली तिमाही में जोरदार झटका लगा है। मार्च में समाप्त हुई पहली तिमाही में चीन की आर्थिक विकास दर में 6.8% की गिरावट दर्ज की गई है, जो साल 1970 के बाद जीडीपी विकास दर में सबसे बड़ी गिरावट है। आधिकारिक आंकड़ों से शुक्रवार को यह जानकारी सामने आई है।
चीन की आर्थिक विकास दर का यह आंकड़ा बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में छह फीसदी विकास दर के आंकडे़ से बेहद कम है, लेकिन अर्थशास्त्रियों द्वारा जताई गई उम्मीदों से थोड़ा अधिक है। अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी विकास दर में 8.2% की गिरावट का अनुमान जताया था। विश्लेषकों ने चीन को आगाह किया है कि आने वाला समय और कठिन हो सकता है, क्योंकि उसके अधिकतर बाजार कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं।