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...तो बदल जाएंगे किसानों के दिन, बड़े काम की हैं मोदी सरकार की ये 3 बड़ी घोषणाएं
बिजनेस डेस्क। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन लगने से देश की अर्थव्यवस्था में एक तरह की मंदी दिखाई पड़ने लगी है। इससे मजदूरों का रोजगार तो गया ही है, किसानों को भी तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसान ही होते हैं। लेकिन आज उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं। किसानों की आर्थिक दशा में सुधार हो, इसके लिए मोदी सरकार प्रयास में लगी हुई है। हाल ही में सरकार ने कुछ ऐसी घोषणाएं की हैं, जिनसे किसानों की जिंदगी में बदलाव आ सकता है। जानें, क्या हैं ये घोषणाएं।
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एग्रीकल्चर मार्केटिंग कानून
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी है कि सरकार एग्रीकल्चरल मार्केटिंग के लिए एक कानून बनाएगी। इस कानून के लागू होने पर किसान अपनी फसल देश के किसी भी राज्य में अपनी मन-मर्जी से बेच सकेगा। इस कानून से किसानों को अपना खरीददार चुनने की सुविधा मिल सकेगी।
अभी क्या हैं हालात
फिलहाल, किसान सिर्फ मंडियों में लाइसेंस वाले ट्रेडर को ही अनाज और फल-सब्जियां बेच सकता है। यह खरीद-बिक्री एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी के तहत होती है। इस वजह से कई बार किसानों को ट्रेडर की मर्जी से उसके द्वारा तय कीमतों पर अनाज बेचना पड़ता है। एग्रीकल्चर मार्केटिंग कानून बन जाने के बाद किसान के सामने यह बाध्यता नहीं रह जाएगी।
फसल की पहले होगी खरीद
सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि किसानों की फसल की खरीद पहले ही हो जाए। इस व्यवस्था के तहत फसल तैयार होने से पहले ही कंपनियां किसानों से मोल-भाव कर दाम तय कर लेगी और फसल तैयार होने पर उसे खरीद लेगी। अभी तक यह व्यवस्था रही है कि किसान फसल तैयार होने पर जब मंडी में ले जाता है, तब उसकी कीमत तय होती है।
फसल खराब होने पर नहीं होगा नुकसान
इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद अगर किसी कारणवश किसानों की फसल खराब हो जाती है, तो उन्हें पूरा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। इसमें उन कंपनियों पर भी बोझ पड़ेगा, जिन्होंने पहले ही किसानों से सौदा किया है। अब तक फसल खराब होन पर सारा नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ता था। बता दें कि तंबाकू जैसी नकदी फसलों में किसान उपज होने से पहले ही सौदा करते रहे हैं।
एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव
सरकार ने एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव करने का फैसला किया है। यह एक्ट 1955 में केंद्र सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए लागू किया था। इस एक्ट के तहत सरकार किसी भी फसल या उत्पाद के लिए एक स्टॉक लिमिट तय करती है। इससे व्यापारी तय लिमिट से ज्यादा स्टॉक नहीं रख सकते। लेकिन कनून में बदलाव कर सरकार कमोडिटीज पर स्टॉक लिमिट सिर्फ राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में ही लगाएगी।