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Post Office की वो स्कीम जिसमें एक बार में कई लोग मिलकर जमा कर सकते हैं पैसे, हर महीने होगी तगड़ी कमाई
बिजनेस डेस्क। आजकल बैंकों के अलावा भी बचत करने के कई ऑप्शन हैं। इनमें पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत की कुछ योजनाएं काफी अच्छी हैं, जिनमें कम निवेश पर अच्छी कमाई का मौका मिलता है। पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम (MIS) ऐसी ही योजनाओं में से एक है। इस स्कीम में एकमुश्त निवेश करने पर ब्याज के रूप में अच्छी इनकम होती है। इस स्कीम में खाते की मेच्योरिटी की अवधि 5 साल की है, लेकिन निवेशकर्ता को एकमुश्त निवेश पर हर महीने ब्याज मिलता है। इंडिया पोस्ट के अनुसार, 1 अप्रैल तक इस स्कीम में 6.6 फीसदी ब्याज मिल रहा था। इसका भुगतान हर महीने होता है।
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सिंगल-ज्वाइंट दोनों खाते खोल सकते
एमआईएस स्कीम में यह सुविधा है कि कोई भी सिंगल और ज्वाइंट, दोनों तरह के खाते खोल सकता है। व्यक्तिगत खाते में कम से कम 1000 रुपए और ज्यादा से ज्यादा 4.5 लाख रुपए का निवेश किया जा सकता है। वहीं, ज्वाइंट खाते में अधिकतम 9 लाख रुपए तक निवेश कर सकते हैं। यह योजना सीनियर सिटिजन और रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद है।
स्कीम के फायदे
एमआईएस स्कीम के तहत दो-तीन लोग मिल कर अकाउंट खोल सकते हैं। इससे होने वाली इनकम को सभी बराबर ले सकते हैं। ज्वाइंट अकाउंट को कभी भी सिंगल अकाउंट और और सिंगल अकाउंट को ज्वाइंट अकाउंट में बदलवाया जा सकता है। अकाउंट में फेरबदल के लिए सभी मेंबर्स को एक साथ एप्लिकेशन देना होता है।
पैसे निकालने की शर्त
इस स्कीम के तहत जरूरत पड़ने पर अगर कोई चाहे तो मेच्योरिटी से पहले भी पैसे निकाल सकता है। ऐसा करने पर कुछ पैसे कट जाते हैं, लेकिन अकाउंट खोलने के बाद एक साल तक किसी भी हाल में पैसा नहीं निकाला जा सकता। एक साल से 3 साल के बीच पैसा निकालने पर जमा राशि का 2 फीसदी काट कर भुगतान किया जाएगा। वहीं, 3 साल के बाद एक फीसदी काट कर रकम का भुगतान होगा।
और क्या है सहूलियत
इस स्कीम के तहत आप अकाउंट एक पोस्ट ऑफिस से दूसरे पोस्ट ऑफिस में भी ट्रांसफर करा सकते हैं। जब इस स्कीम में पैसा जमा हुए 5 साल हो जाते हैं, तो आप दोबारा इसे निवेश कर सकते हैं। इसमें किसी नॉमिनी का भी नाम दिया जा सकता है, जो किसी वजह से अकाउंट होल्डर की मौत होने के बाद रकम निकाल सकता है। इस स्कीम की एक खासियत यह भी है कि इसमें टीडीएस नहीं लगता, लेकिन निवेश से जो ब्याज हासिल होता है, उस पर टैक्स देना पड़ता है।